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मोहे पनघट पे नन्द लाल छेड़ गेयो रे


मोहे पनघट पे नन्द लाल छेड़ गेयो रे
मोरी नाजुक कलईया मरोड़ गेयो रे,
मोहे पनघट पे नन्द लाल छेड़ गेयो रे

कंकरी मोहे मारी गगरियाँ फोड़ डाली,
मोरी सारी अनारी भिगोये गयो रे,
मोहे पनघट पे नन्द लाल छेड़ गेयो रे

नैनो से जादू किया जियरा मोह लिया
मोरा घुंगटा नजरियों से तोड़ गयो रे
मोहे पनघट पे नन्द लाल छेड़ गेयो रे…………,


बरस दिना में आवेै री गोरी, होरी आज मनाय लेै री,
फागुन के दिन चार सखी,तू रसिया ते बतराय लेै री,

हम है रसिया तुम गोरी,बढी खास बनी ये जोडी,
सुन ले ग्वालिन मतवारी, खेलेंगे तो संग होरी,
ये अवसर होरी को गोरी, जीवन आज बनाय लेै री।फागुन के दिन चार ……

क्यों लाज करेै तू गोरी, लगवाय लेै मुख ते रोरी,
जो सूधी नाय बतरावेै, तौ श्याम करे बरजोरी,
ऐसोै अवसर फिर न मिलेैगोै, हंस हंस के बतराय लेै री। फागुन के दिन चार सखी ……

सुन लेै तू नारि नवेली, क्यों बैठी भवन अकेली,
रसिया बिन सूनोै जावेै, तेरोै जोबन अलबेली,
रोज रोज रसिया ना आवेै,हस के रंग लगवाय लेै री। फागुन के दिन चार सखी…..

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