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सिक्का वही उछाला जाए

टोक्यो ओलंपिक में नीरज चोपड़ा ने जैवलिन थ्रो (भाला फेंक) में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा। इसके बाद ही उनकी तस्वीर के साथ वाहिद अली वाहिद की पंक्तियां साझा होने लगीं। वह विशेष पंक्तियां हैं कि – 
दोनों ओर लिखा हो भारत, सिक्का वही उछाला जाए, तू भी है राणा का वंशज, फेंक जहां तक भाला जाए। वाहिल अली वाहिद का इसी साल 59 की उम्र में निधन हो गया था। उनकी दर्जनभर से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं और उन्हें कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया था। नीरज चोपड़ा की जीत के साथ ही वह अपनी पंक्तियों के माध्यम से फिर जीवंत हो गए। 

उनकी पूरी कविता यूं है। 

कब तक बोझ संभाला जाए
द्वंद्व कहां तक पाला जाए
दूध छीन बच्चों के मुख से 
क्यों नागों को पाला जाए
दोनों ओर लिखा हो भारत 
सिक्का वही उछाला जाए
तू भी है राणा का वंशज 
फेंक जहां तक भाला जाए 

इस बिगड़ैल पड़ोसी को तो 
फिर शीशे में ढाला जाए 
तेरे मेरे दिल पर ताला 
राम करें ये ताला जाए 
वाहिद के घर दीप जले तो 
मंदिर तलक उजाला जाए

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