Breaking News

८० घज का दामन पेहर मटक चालू गी


सारे गाओ में हो गया हल्ला श्याम ने पकड़ा मेरा पल्ला
अपनी ऊंगली में पेहना है मैंने उसकी प्रीत का छल्ला
छल्ले की मैं दिखा के मैं तो झलक चालु गी
८० घज का दामन पेहर मटक चालू गी

मैं हु बरसाने की राधा श्याम से मिलने का है वादा,
बाते गुप चुप गुप चुप हो गई सब को न बतलाऊ ज्यादा
मिलने को श्याम से मैं वक़्त चालु गी
८० घज का दामन पेहर मटक चालू गी

जुल्मी बैठा है पनघट पे सारे लोगो से वो छुप के,
मिलने मैं भी अब कान्हा से जाऊगी छुपके छुपके,
मैं तो सिर पे मटकियाँ को धर के चालु गी
८० घज का दामन पेहर मटक चालू गी

मैं हु उसकी वो है मेरा जन्म जन्म का अपना फेरा
रोके नही रुकू गी आज शर्मा कितना लगा ले पेहला,
दुनिया की रस्मो को मैं तो पटक चालु गी
८० घज का दामन पेहर मटक चालू गी…………

Check Also

bhandara

भंडारे या लंगर का प्रसाद खाना चाहिए

भंडारे या लंगर का प्रसाद खाना या नहीं? धार्मिक स्थलों पर आयोजित भंडारे ने निर्धनों को सहारा देते हैं, लेकिन सक्षम व्यक्ति के लिए सेवा या....