एक बार धार्मिक यात्रा पर गुरु नानक देव जी बनारस गए। उन्होंने गेरुए रंग के वस्त्र, पांव में जूती, सिर पर टोपी, गले में माला और केसर का तिलक लगाए हुए थे। लोगों ने सोचा दूर देश से कोई महात्मा आए हैं। इसलिए काफी लोग उनके आस-पास एकत्र हो गए।
तब वह लोग एक पंडित को बुला लाए। काशी के पंडित ने कहा, महाराज हम रोज वेद-शास्त्र पढ़ते हैं, लेकिन मन से अहंकार जाता ही नहीं। तब गुरु नानक जी ने कहा, मन के अंदर जो बुराइयां मौजूद हैं। उन्हें त्याग दो बस आपका अहंकार चला जाएगा।
वेद-शास्त्र पढ़ने के बाद उनके सार को यदि जीवन में भी उतारोगे तो मन में अहंकार कभी नहीं आएगा। गुरु नानक जी ने उस पंडित को यह बात काफी विस्तार से बताईं। उन्होंने आगे कहा, जैसे नाव पर बैठकर नदी पार की जाती है। ठीक ज्ञान और भक्ति से इस संसार में ईश्वर के निकट जाया जा सकता है।
Hindi to English
Once upon a religious journey, Guru Nanak Dev Ji went to Banaras. They were dressed in gray clothes, shoe in foot, hat on head, neck nails and saffron tilak. People thought that a Mahatma came from a distant land. So enough people gathered around them.
Then they brought a pundit to the people. Kashi’s pundit said, Maharaj, we read Vedic science everyday, but the mind does not go ego only. Then Guru Nanak said, the evils inside the mind are present. Just give up your ego.
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If you read Vedas after reading their essence also in life then ego will never come in mind. Guru Nanak told this pundit in a lot of detail. He further said, as the river is crossed by sitting on a boat. With good knowledge and devotion can be approached to God in this world.