दो संन्यासी युवक यात्रा करते-करते किसी गांव में पहुंचे। वहां लोगों से पूछा हमें एक रात्रि यहां रहना है किसी पवित्र परिवार का घर दिखाओ। लोगों ने बताया कि वहां एक चाचा का घर है। साधु-महात्माओं का आदर सत्कार करते हैं। अखिल ब्रह्माण्डमां एकतुं श्रीहरि’ का पाठ उनका पक्का हो गया है। वहां आपको ठीक रहेगा। उन्होंने उन सज्जन चाचा का पता बताया। दोनों संन्यासी वहां गए।
चाचा ने प्रेम से सत्कार किया, भोजन कराया और रात्रि-विश्राम के लिए बिछौना दिया। रात्रि को कथा-वार्ता के दौरान एक संन्यासी ने प्रश्न किया कि आपने कितने तीर्थों में स्नान किया है? कितनी तीर्थयात्राएं की हैं? हमने तो चारों धाम की तीन-तीन बार यात्रा की है। चाचा ने कहा.. मैंने एक भी तीर्थ का दर्शन या स्नान नहीं किया है।
यहीं रहकर भगवान का भजन करता हूं और आप जैसे भगवत्स्वरूप अतिथि पधारते हैं तो सेवा करने का मौका पा लेता हूं। अभी तक कहीं भी नहीं गया हूं।दोनों संन्यासी आपस में विचार करने लगे कि ऐसे व्यक्ति का अन्न खाया! अब यहां से चले जाएं तो रात्रि कहां बिताएंगे? यकायक चले गए तो उसको दुःख भी होगा। चलो, कैसे भी करके इस विचित्र वृद्ध के यहां रात्रि बिता दें। जिसने एक भी तीर्थ नहीं किया उसका अन्न खा लिया, हाय! इस प्रकार विचारते हुए वे सोने लगे लेकिन नींद कैसे आए! करवटें बदलते-बदलते मध्यरात्रि हुई।
इतने में द्वार से बाहर देखा तो गौ के गोबर से लीपे हुए बरामदे में एक काली गाय आई…. फिर दूसरी आई…. तीसरी, चौथी….पांचवीं… ऐसा करते-करते कई गायें आईं। हरेक गाय वहां आती, बरामदे में लोटपोट होती और सफेद हो जाती तब अदृश्य हो जाती। ऐसी कितनी ही काली गायें आयीं और सफेद होकर विदा हो गईं। दोनों संन्यासी फटी आंखों से देखते ही रह गए। वे दंग रह गए कि यह क्या कौतुक हो रहा है! आखिरी गाय जाने की तैयारी में थी तो उन्होंने उसे प्रणाम करके पूछाः हे गौ माता! आप कौन हो और यहां कैसे आना हुआ?
यहां आकर आप श्वेतवर्ण हो जाती हो इसमें क्या रहस्य है? कृपा करके आपका परिचय दें। गाय बोलने लगीः हम गायों के रूप में सब तीर्थ हैं। लोग हममें गंगे हर… यमुने हर…. नर्मदे हर… आदि बोलकर गोता लगाते हैं। हममें अपने पाप धोकर पुण्यात्मा होकर जाते हैं और हम उनके पापों की कालिमा मिटाने के लिए द्वन्द्व-मोह से विनिर्मुक्त आत्मज्ञानी, आत्मा-परमात्मा में विश्रान्ति पाये हुए सत्पुरूषों के आंगन में आकर पवित्र हो जाते हैं।
हमारा काला बदन पुनः श्वेत हो जाता है। तुम लोग जिनको अशिक्षित, गंवार, बूढ़ा समझते हो वे बुजुर्ग के जहां से तमाम विद्याएं निकलती हैं…. उस आत्मदेव में विश्रान्ति पाये हुए आत्मवेत्ता संत हैं। तीर्थी कुर्वन्ति जगतीं…. ऐसे आत्मारामी ब्रह्मवेत्ता महापुरुष जगत को तीर्थरूप बना देते हैं। अपनी दृष्टि से, संकल्प से, संग से जन-साधारण को उन्नत कर देते हैं। ऐसे पुरुष जहां ठहरते हैं, उस जगह को भी तीर्थ बना देते हैं
Hindi to English
Two monks traveled to a village while traveling. We asked people there to stay here one night to show the house of a holy family. People said that there is a uncle’s house there. Honor the saints and saints. The text of ‘Both monks went thereEkatun Shree Hari’ has become firm. There you will be fine He told the address of those gentle uncle. Both monks went there.
Uncle felicitated with love, made meals and gave a bed for a nightmare. During the narrative to the night, a sannyasin asked, “How many baths have you been bathing?” How many pilgrims are there? We have traveled three to three Dhams three times. Uncle said .. I have not seen a single pilgrimage or shower.
Staying there I worship God and if you come to such a privileged guest, then you get the chance to serve. I have not gone anywhere yet. The two monks started thinking that they had eaten such a person’s food! Now if you go away from here, you will spend the night? If the person went away, he would also have sorrow. Come on, how to spend the night here with this strange elderly. Who did not make any pilgrimage, he ate food, hi! In this way, they sleep, but how come sleep! Curves became a changing midnight.
If you looked outside the door, then there was a black cow in the verandah of the cow dung. Then the second mother … third, fourth … fifth …. Every cow came there, float in the verandah and became white when it became white. How many such black cows came and went white. Both monks were left with tearful eyes. They were stunned that what is happening! When the last cow was preparing to go, he greeted him and asked: O cow mother! Who are you and how come here?
If you come here, you become white, what is the secret in this? Please introduce yourself. The cow started speaking: We are all pilgrims in the form of cows. People dive in and talk about the Ganga Hare … Yamuna Har … Narmade Har … etc. We wash our sins and become virtuous and we become pure by coming in the courtyard of the saints found resting in the soul-divine, in a purely enlightened enlightened soul, by dispute, to eradicate the sins of their sins.
Our black body gets red again. You people who feel uneducated, miserable and old, from where the elders come from all the arts …. The self-respecting saints who are resting in that self-god are the saints. Tirthi kurvanti jagti …. Such self-respecting Brahmavetta makes Mahaparusha the world a pilgrimage. With their vision, with resolution, they enhance the masses. Such men, where they live, make that place even a pilgrimage