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औरत दिल से कमजोर नहीं होती, वो तो बस ‘माँ’ होती है

वो विधवा थी पर श्रृंगार ऐसा कर के रखती थी कि पूछो मत। बिंदी के सिवाय सब कुछ लगाती थी। पूरी कॉलोनी में उनके चर्चे थे। उनका एक बेटा भी था जो अभी नौंवी कक्षा में था । पति रेलवे में थे उनके गुजर जाने के बाद रेलवे ने उन्हें एक छोटी से नौकरी दे दी थी । उनके जलवे अलग ही थे । 1980 के दशक में बॉय कटिंग रखती थी । सभी कालोनी की आंटियां उन्हें ‘परकटी’ कहती थी । ‘गोपाल’ भी उस समय नया नया जवान हुआ था । अभी 16 साल का ही था । लेकिन घर बसाने के सपने देखने शुरू कर दिए थे । गोपाल का आधा दिन आईने के सामने गुजरता था और बाकि आधा परकटी आंटी की गली के चक्कर काटने में।
गोपाल का नव व्यस्क मस्तिष्क इस मामले में काम नहीं करता था कि समाज क्या कहेगा ? यदि उसके दिल की बात किसी को मालूम हो गई तो ? उसे किसी की परवाह नहीं थी । परकटी आंटी को दिन में एक बार देखना उसका जूनून था ।

उस दिन बारिश अच्छी हुई थी । गोपाल स्कूल से लौट रहा था । साइकिल पर ख्वाबो में गुम उसे पता ही नहीं लगा कि अगले मोड़ पर कीचड़ की वजह से कितनी फिसलन थी । अगले ही क्षण जैसे ही वह अगले मोड़ पर मुड़ा साइकिल फिसल गई और गोपाल नीचे । उसी वक्त सामने से आ रहे स्कूटर ने भी टक्कर मार दी । गोपाल का सर मानो खुल गया हो । खून का फव्वारा फूटा । गोपाल दर्द से ज्यादा इस घटना के झटके से स्तब्ध था । वह गुम सा हो गया । भीड़ में से कोई उसकी सहायता को आगे नहीं आ रहा था । खून लगातार बह रहा था । तभी एक जानी पहचानी आवाज गोपाल नाम पुकारती है । गोपाल की धुंधली हुई दृष्टि देखती है कि परकटी आंटी भीड़ को चीर पागलों की तरह दौड़ती हुई आ रही थी । परकटी आंटी ने गोपाल का सिर गोद में लेते ही उसका माथा जहाँ से खून बह रहा था उसे अपनी हथेली से दबा लिया । आंटी की रंगीन ड्रेस खून से लथपथ हो गई थी । आंटी चिल्ला रही थी “अरे कोई तो सहायता करो, यह मेरा बेटा है, कोई हॉस्पिटल ले चलो हमें ।”

गोपाल को अभी तक भी याद है । एक तिपहिया वाहन रुकता है । लोग उसमे उन दोनों को बैठाते हैं । आंटी ने अब भी उसका माथा पकड़ा हुआ था । उसे सीने से लगाया हुआ था । गोपाल को टांके लगा कर घर भेज दिया जाता है । परकटी आंटी ही उसे रिक्शा में घर लेकर जाती हैं । गोपाल अब ठीक है । लेकिन एक पहेली उसे समझ नहीं आई कि उसकी वासना कहाँ लुप्त हो गई । जब परकटी आंटी ने उसे सीने से लगाया तो उसे ऐसा क्यों लगा कि उसकी माँ ने उसे गोद में ले लिया हो । वात्सल्य की भावना कहाँ से आई । उसका दृष्टिकोण कैसे एकक्षण में बदल गया । क्यों वह अब मातृत्व के शुद्ध भाव से परकटी आंटी को देखता था ।

(2017) आज गोपाल एक रिटायर्ड अफसर है । समय बिताने के लिए कम्युनिटी पार्क में जाता है । वहां बैठा वो आज सुन्दर औरतों को पार्क में व्यायाम करते देख कर मुस्कुराता है । क्योंकि उसने एक बड़ी पहेली बचपन में हल कर ली थी । वो आज जानता है, मानता है, और कई लेख भी लिख चूका है कि महिलाओं का मूल भाव मातृत्व का है । वो चाहें कितनी भी अप्सरा सी दिखें दिल से हर महिला एक ‘माँ’ है । वह ‘माँ’ सिर्फ अपने बच्चे के लिए ही नहीं है । वो हर एक लाचार में अपनी औलाद को देखती है । दुनिया के हर छोटे मोटे दुःख को एक महिला दस गुणा महसूस करती है क्योंकि वह स्वतः ही कल्पना कर बैठती है कि अगर यह मेरे बेटे या बेटी के साथ हो जाता तो ? इस कल्पना मात्र से ही उसकी रूह सिहर उठती है । वो रो पड़ती है । और दुनिया को लगता है कि महिला कमजोर है । गोपाल मुस्कुराता है, मन ही मन कहता है कि “हे, विश्व के भ्रमित मर्दो ! औरत दिल से कमजोर नहीं होती, वो तो बस ‘माँ’ होती है

in English

She was a widow, but she had kept doing this so that she did not ask. It used to do everything except the dindi. His discussions were in the entire colony. He had a son who was still in ninth grade. Husband was in the railway after the passing of him, the railway gave him a small job. Their waterways were different. Boy cutting was used in the 1980s. All colony’s ants used to call them ‘parikati’. Gopal also had a new young man at that time. It was only 16 years old. But started dreaming of settling down. The half-day of Gopal was passing in front of the mirror and the rest of the half-ani aunt’s lane in the circle.
The new adult brain of Gopal did not work in this matter, what would society say? If anyone knows about his heart then? He did not care about anyone. It was his obsession to see the Peri aunt once in a day.

The rain was good on that day. Gopal was returning from school. Lost in a bicycle, he did not know how much was slippery due to mud at the next turn. The next moment as soon as the bicycle turned on the next turn slipped and Gopal got down. At the same time the scooter coming from the front also hit. Gopal’s head has opened. Blood Fountain Sprinkled Gopal was more shocked by the shock of the incident. He got lost None of the crowd was coming forward to help him. Blood was constantly flowing. Only then a well-known voice calls the name of Gopal. Gopal’s blurred vision is that the percussion aunt was running like a rag. When the head of Gopal took the head of the aunt, his forehead pressed the blood from where he was bleeding. Auntie’s colorful dress was soaked with blood. Aunt was shouting “Hey, help me, this is my son, take us to a hospital.”

Gopal still remembers. A three-wheeler stops People sit in both of them. Aunt was still holding her forehead. She was imposed by the chest. Gopal is sacked and sent home. Peri aunt only takes her home in a rickshaw. Gopal is okay now. But a puzzle she did not understand where her lust disappeared. When the aunt’s aunt put her on the chest, why did she feel that her mother had taken her in the lap? Where did the spirit of Vatsalya come from? How his attitude turned into ecosystem Why did she now look at the perticile aunt of motherhood.

(2017) Today, Gopal is a retired officer. To spend time goes to the community park. They sit there and smile at seeing beautiful women exercising in the park. Because he solved a big puzzle in childhood. He knows today, believes, and has written several articles that the origin of women is motherhood. They want to see how much Apsara is, because every woman is a ‘mother’. That ‘mother’ is not just for her child. He sees his child in every helplessness. Every woman in the world feels ten times as big a sore, because she automatically imagines that if she gets along with my son or daughter? This imagination only raises its breath She is crying. And the world thinks that the woman is weak. Gopal smiles, the mind itself says, “Hey, the world’s confused Men! The woman is not weak from the heart, she is just ‘mother’

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