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समुद्र मंथन से निकले थे चौदह रत्न

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समुद्र मंथन से निकले थे चौदह रत्न, इनमें छिपी है हमारी जीवन पद्धति।पढ़े कौन कौन से हैं चौदह रत्न?
मान्यता के अनुसार, धनतेरस के दिन समुद्र मंथन से भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए थे। इसलिए इस दिन भगवान धन्वंतरि की विशेष पूजा की जाती है। समुद्र मंथन से धन्वतंरि के साथ अन्य रत्न भी निकले थे। आज हम आपको समुद्र मंथन की पूरी कथा व उसमें छिपे जीवन पद्वति के सूत्रों के बारे में बता रहे हैं-

ये है समुद्र मंथन की कथा
धर्म ग्रंथों के अनुसार, एक बार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण स्वर्ग श्रीहीन (ऐश्वर्य, धन, वैभव आदि) हो गया। तब सभी देवता भगवान विष्णु के पास गए। भगवान विष्णु ने उन्हें असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन करने का उपाय बताया और ये भी बताया कि समुद्र मंथन को अमृत निकलेगा, जिसे ग्रहण कर तुम अमर हो जाओगे। यह बात जब देवताओं ने असुरों के राजा बलि को बताई तो वे भी समुद्र मंथन के लिए तैयार हो गए। वासुकि नाग की नेती बनाई गई और मंदराचल पर्वत की सहायता से समुद्र को मथा गया। समुद्र मंथन से उच्चैश्रवा घोड़ा, ऐरावत हाथी, लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरि सहित 14 रत्न निकले।

समुद्र मंथन को अगर जीवन पद्धति के नजरिए से देखा जाए तो हम पाएंगे कि सीधे-सीधे किसी को अमृत (परमात्मा) नहीं मिलता। उसके लिए पहले मन को विकारों को दूर करना पड़ता है और अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण करना पड़ता है।
समुद्र मंथन में 14 नंबर पर अमृत निकला था। इस 14 अंक का अर्थ है ये है 5 कमेन्द्रियां, 5 जनेन्द्रियां तथा अन्य 4 हैं- मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार। इन सभी पर नियंत्रण करने के बाद में परमात्मा प्राप्त होते हैं।

1. कालकूट विष समुद्र मंथन में से सबसे पहले कालकूट विष निकला, जिसे भगवान शिव ने ग्रहण कर लिया। इससे तात्पर्य है कि अमृत (परमात्मा) इस इंसान के मन में स्थित है। अगर हमें अमृत की इच्छा है तो सबसे पहले हमें अपने मन को मथना पड़ेगा। जब हम अपने मन को मथेंगे तो सबसे पहले बुरे विचार ही बाहर निकलेंगे। यही बुरे विचार विष है। हमें इन बुरे विचारों को परमात्मा को समर्पित कर देना चाहिए और इनसे मुक्त हो जाना चाहिए।

2. कामधेनु समुद्र मंथन में दूसरे क्रम में निकली कामधेनु। वह अग्निहोत्र (यज्ञ) की सामग्री उत्पन्न करने वाली थी। इसलिए ब्रह्मवादी ऋषियों ने उसे ग्रहण कर लिया। कामधेनु प्रतीक है मन की निर्मलता की। क्योंकि विष निकल जाने के बाद मन निर्मल हो जाता है। ऐसी स्थिति में ईश्वर तक पहुंचना और भी आसान हो जाता है।

3. उच्चैश्रवा घोड़ा समुद्र मंथन के दौरान तीसरे नंबर पर उच्चैश्रवा घोड़ा निकला। इसका रंग सफेद था। इसे असुरों के राजा बलि ने अपने पास रख लिया। लाइफ मैनेजमेंट की दृष्टि से देखें तो उच्चैश्रवा घोड़ा मन की गति का प्रतीक है। मन की गति ही सबसे अधिक मानी गई है। यदि आपको अमृत (परमात्मा) चाहिए तो अपने मन की गति पर विराम लगाना होगा। तभी परमात्मा से मिलन संभव है।

4. ऐरावत हाथी समुद्र मंथन में चौथे नंबर पर ऐरावत हाथी निकला, उसके चार बड़े-बड़े दांत थे। उनकी चमक कैलाश पर्वत से भी अधिक थी। ऐरावत हाथी को देवराज इंद्र ने रख लिया। ऐरावत हाथी प्रतीक है बुद्धि का और उसके चार दांत लोभ, मोह, वासना और क्रोध का। चमकदार (शुद्ध व निर्मल) बुद्धि से ही हमें इन विकारों पर काबू रख सकते हैं।

5. कौस्तुभ मणि समुद्र मंथन में पांचवे क्रम पर निकली कौस्तुभ मणि, जिसे भगवान विष्णु ने अपने ह्रदय पर धारण कर लिया। कौस्तुभ मणि प्रतीक है भक्ति का। जब आपके मन से सारे विकार निकल जाएंगे, तब भक्ति ही शेष रह जाएगी। यही भक्ति ही भगवान ग्रहण करेंगे।

6. कल्पवृक्ष समुद्र मंथन में छठे क्रम में निकला इच्छाएं पूरी करने वाला कल्पवृक्ष, इसे देवताओं ने स्वर्ग में स्थापित कर दिया। कल्पवृक्ष प्रतीक है आपकी इच्छाओं का। कल्पवृक्ष से जुड़ा लाइफ मैनेजमेंट सूत्र है कि अगर आप अमृत (परमात्मा) प्राप्ति के लिए प्रयास कर रहे हैं तो अपनी सभी इच्छाओं का त्याग कर दें। मन में इच्छाएं होंगी तो परमात्मा की प्राप्ति संभव नहीं है।

7. रंभा अप्सरा समुद्र मंथन में सातवे क्रम में रंभा नामक अप्सरा निकली। वह सुंदर वस्त्र व आभूषण पहने हुई थीं। उसकी चाल मन को लुभाने वाली थी। ये भी देवताओं के पास चलीं गई। अप्सरा प्रतीक है मन में छिपी वासना का। जब आप किसी विशेष उद्देश्य में लगे होते हैं तब वासना आपका मन विचलित करने का प्रयास करती हैं। उस स्थिति में मन पर नियंत्रण होना बहुत जरूरी है।

8. देवी लक्ष्मी समुद्र मंथन में आठवे स्थान पर निकलीं देवी लक्ष्मी। असुर, देवता, ऋषि आदि सभी चाहते थे कि लक्ष्मी उन्हें मिल जाएं, लेकिन लक्ष्मी ने भगवान विष्णु का वरण कर लिया। लाइफ मैनेजमेंट के नजरिए से लक्ष्मी प्रतीक है धन, वैभव, ऐश्वर्य व अन्य सांसारिक सुखों का। जब हम अमृत (परमात्मा) प्राप्त करना चाहते हैं तो सांसारिक सुख भी हमें अपनी ओर खींचते हैं, लेकिन हमें उस ओर ध्यान न देकर केवल ईश्वर भक्ति में ही ध्यान लगाना चाहिए।

9. वारुणी देवी समुद्र मंथन से नौवे क्रम में निकली वारुणी देवी, भगवान की अनुमति से इसे दैत्यों ने ले लिया। वारुणी का अर्थ है मदिरा यानी नशा। यह भी एक बुराई है। नशा कैसा भी हो शरीर और समाज के लिए बुरा ही होता है। परमात्मा को पाना है तो सबसे पहले नशा छोड़ना होगा तभी परमात्मा से साक्षात्कार संभव है।

10. चंद्रमा समुद्र मंथन में दसवें क्रम में निकले चंद्रमा। चंद्रमा को भगवान शिव ने अपने मस्तक पर धारण कर लिया। चंद्रमा प्रतीक है शीतलता का। जब आपका मन बुरे विचार, लालच, वासना, नशा आदि से मुक्त हो जाएगा, उस समय वह चंद्रमा की तरह शीतल हो जाएगा। परमात्मा को पाने के लिए ऐसा ही मन चाहिए। ऐसे मन वाले भक्त को ही अमृत (परमात्मा) प्राप्त होता है।

11. पारिजात वृक्ष इसके बाद समुद्र मंथन से पारिजात वृक्ष निकला। इस वृक्ष की विशेषता थी कि इसे छूने से थकान मिट जाती थी। यह भी देवताओं के हिस्से में गया। लाइफ मैनेजमेंट की दृष्टि से देखा जाए तो समुद्र मंथन से पारिजात वृक्ष के निकलने का अर्थ सफलता प्राप्त होने से पहले मिलने वाली शांति है। जब आप (अमृत) परमात्मा के इतने निकट पहुंच जाते हैं तो आपकी थकान स्वयं ही दूर हो जाती है और मन में शांति का अहसास होता है।

12. पांचजन्य शंख समुद्र मंथन से बारहवें क्रम में पांचजन्य शंख निकला। इसे भगवान विष्णु ने ले लिया। शंख को विजय का प्रतीक माना गया है साथ ही इसकी ध्वनि भी बहुत ही शुभ मानी गई है। जब आप अमृत (परमात्मा) से एक कदम दूर होते हैं तो मन का खालीपन ईश्वरीय नाद यानी स्वर से भर जाता है। इसी स्थिति में आपको ईश्वर का साक्षात्कार होता है।

13 व 14. भगवान धन्वंतरि व अमृत कलश
समुद्र मंथन से सबसे अंत में भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत कलश लेकर निकले। भगवान धन्वंतरि प्रतीक हैं निरोगी तन व निर्मल मन के।
जब आपका तन निरोगी और मन निर्मल होगा तभी इसके भीतर आपको परमात्मा की प्राप्ति होगी। समुद्र मंथन में 14 नंबर पर अमृत निकला। इस 14 अंक का अर्थ है ये है 5 कमेंद्रियां, 5 ज्ञानेंद्रियां त

था अन्य 4 हैं- मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार। इन सभी पर नियंत्रण करने के बाद में परमात्मा प्राप्त होते हैं

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The fourteen gems that came out of the sea churning, are hidden in our life system. Who are the fourteen gems to read?
According to the belief, on the day of Dhanteras, Lord Shiva was revealed by sea churning. Therefore, on this day special worship of God Dhanvantri is performed. Other gems with Dhanvantarai also came out from sea churning. Today we are telling you about the complete story of sea churning and the sources of life in it,
This is the story of sea churning

According to religious texts, once the curse of Maharishi Durvasa, heaven became Shrihin (Aishwarya, Dhan, Vaibhav etc.). Then all the gods went to Lord Vishnu. Lord Vishnu told him the remedy to associate with the Asuras and said that the sea churning will come out of nectar, and by accepting you will become immortal. This thing when the Gods told the King of Asuras Bali, they too got ready for sea churning. The leader of the Vasukhi Nag was formed and with the help of Mandarachal Mountains, the sea was ruled out. 14 gems came out from sea churning with loud rock, Aaravat elephant, Lakshmi, Lord Dhanvantri.

If sea churning is seen from the way of life system, then we will find that no one can receive the elixir directly. For that, the first mind has to remove the disorders and control its senses.
Elixir was out at number 14 in sea churning. This 14 digit means that there are 5 centers, 5 genitals and 4 others – mind, intellect, mind and ego. After controlling all these, the divines are received.

1. The first of the kalkut poison manthan was released from Calcutta, which was taken by Lord Shiva. This implies that the Amrit (God) is situated in the mind of this human. If we have a desire for nectar then we will have to churn our mind first. When we stumble our mind, the worst thoughts will come out first. That’s a bad idea poison. We should dedicate these bad thoughts to the divine and be free from them.

2. Kamdhenu, who came out in second order in Kamadhenu Sea Churning He was about to produce the agnihotra (yagna) material. Therefore, the Brahminic Rishis took it. Kamdhenu is the symbol of purity of the mind. Because the mind becomes clean after the poison is released. In such a situation, it becomes easier to reach God.

3. Highway horse during the ocean manthan, there is a fast horse horse at number three. Its color was white. It has been kept by the King of Assur’s King Bali. Look at life management, the highway horse symbolizes the speed of the mind. The speed of the mind is considered to be the highest. If you want a nectar (divine) then you have to put a stop to the pace of your mind. Only then can meeting God be possible.

4. Eiravat elephant reached the fourth position in the sea churning, leaving the elephant elephant, it had four big teeth. His glow was more than Kailash Mountain. Devaraj Indra kept the Aaravat elephant. Airavata Elephant is the symbol of wisdom and its four teeth are of greed, attachment, passion and anger. Only with bright (pure and pure) intelligence, we can control these disorders.

5. Kaustubh Mani, who came to the fifth position in the sea manthan Kaustubh Mani, which Lord Vishnu took on his heart. Kaustubh Mani is the symbol of devotion. When all the disorders will get out of your mind, then devotion will remain. This god will accept that devotion.

6. Kalpvraksha, which fulfills the desires that came out in the sixth order in Kalpavriksha Churning, was established by the Gods in heaven. Kalpvraksh symbol is your desires. Life management is linked to Kalpavriksha that if you are trying to achieve Amrit (divine), then abandon all your wishes. If there is desire in the mind then the realization of God is not possible.

7. In Rambha Apsara sea churning, the nymph named Rambha came out in the seventh order. She was wearing beautiful clothes and ornaments. His trick was to woo the mind. They also went to the gods. Apsara symbol is the hidden lust of the mind. When you are engaged in a particular purpose, lust strives to disturb your mind. In that situation it is very important to control the mind.

8. Goddess Laxmi, who was eighth place in Goddess Lakshmi sea manthan Asur, Deity, Rishi etc. wanted everyone to get Lakshmi, but Lakshmi got the name of Lord Vishnu. Lakshmi symbolizes life, wealth, glory, wealth and other worldly pleasures from the perspective of life management. When we want to receive Amrit (divine) then worldly pleasures also pull us towards ourselves, but by not paying attention to it, we should focus only on god devotion.

9. Varuni Devi, the Varanasi Devi, which came out in the ninth order from sea-churning, took away the demons from God’s permission. Varuni means alcohol or alcohol addiction. This is also an evil. Nasha is also bad for body and society. If you have to get God, then first of all you have to give up your addiction. Only then can you be interviewed with God.

10. Moon in the tenth order in the moon sea motion. Lord Shiva took the moon on his head. The Moon is the symbol of coldness. When your mind will be free from bad thoughts, greed, lust, intoxication, at that time it will be soft like the moon. Such a desire to get God is like that. The devotee of such a mind receives the nectar (divine).

11. Pariyat tree After this, the sea monastic tree came out of Paribat. The characteristic of this tree was that it touched the tiredness. It also went into the part of the gods. From the point of view of life management, the meaning of getting out of Paribati tree from sea churning is achieved.

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