विश्व विख्यात वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन के ड्राइवर ने एक बार उनसे से कहा–“सर,मैं इतने वर्षों से आपके साथ हूँ…मैंने हर सेमिनार औऱ मीटिंग में आपके द्वारा दिए गए प्रत्येक भाषण को बहुत ग़ौर से सुना और याद किया है।”
आइंस्टीन ये सुनकर बहुत हैरान हुए…
कुछ देर तक बहुत गम्भीरता से सोंचने के बाद उन्होंने ड्राइवर से कहा- “ठीक है,अगले आयोजक मुझे नहीं जानते…आप मेरे स्थान पर वहां बोलिए और मैं आपका ड्राइवर बनकर आपके साथ चलूंगा।
ठीक ऐसा ही हुआ,सेमिनार में अगले दिन उनका ड्राइवर मंच पर चढ़ गया और भाषण देने लगा औऱ आइंस्टीन एक कोने में खड़े हो गए……..
भाषण के समापन के बाद उपस्थित विद्वानों ने जोर-शोर से तालियां बजाईं औऱ सभी बहुत प्रभावित हो गए ड्राइवर की बातों को सुनकर……
तभी सेमिनार में उपस्थित एक प्रोफेसर ने ड्राइवर से पूछा – “सर, क्या आप उस सापेक्षता के सिद्धांत को फिर से समझा सकते हैं,थोड़ी बहुत कन्फ्यूजन है मुझें ?”
असली आइंस्टीन ने जब ये घटनाक्रम देखा तो वे बहुत परेशान हो गए कि अब क्या किया जाए,हकीकत तो सबके सामने आने वाली है….बेचारा वाहन चालक पकड़ा जाएगा औऱ जो बेइज्जती होगी सो अलग।
लेकिन कुछ पल के बाद ही महान वैज्ञानिक आइंस्टीन अपने ड्राइवर का जवाब सुनकर हैरान रह गए…
ड्राइवर ने बहुत सज्जनता से कहा- “क्या बोल रहे हैं महोदय…. यह बिल्कुल आसान सी बात आपके दिमाग में नहीं आई ?यह मामूली सी बात आप मेरे ड्राइवर से पूछिए,—वह आपको बहुत अच्छी तरह समझा देगा…फ़िलहाल मुझें औऱ कुछ कहने की जरुरत नहीं है…..उसके बाद आइंस्टीन के बाक़ी सब संभाल लिया।
***इसलिए यदि हम अपने जीवन में अच्छे,नेक औऱ बुद्धिमान लोगों के संपर्क में रहते हैं तो उसका असर हमारे आचार विचार औऱ व्यवहार पर अवश्य पड़ता है।मित्रता हमेशा सज्जन औऱ विद्वानों के साथ ही करनी चाहिए क्योंकि इत्र बेचने वाले के साथ रहने से सुगंध अपने आप चली आती है।संत कबीरदास जी ने भी कहा है………..
” कबिरा संगत साधु की ज्यों गन्धी की बास…
जो कुछ गन्धी दे नहीं तो भी बास सुबास “…!!
English Translation
The driver of the world famous scientist Albert Einstein once told him – “Sir, I have been with you for so many years … I have listened and remembered every speech you have given in every seminar and meeting. “
Einstein was very surprised to hear this …
After thinking very seriously for a while, he told the driver- “Well, the next organizer does not know me … You speak at my place there and I will walk with you as your driver.
That’s exactly what happened, the next day at the seminar, his driver climbed onto the stage and started giving a speech and Einstein stood in a corner ……..
After the conclusion of the speech, the scholars present loudly shouted applause and all were very impressed after listening to the driver’s words ……
Just then, a professor present at the seminar asked the driver – “Sir, can you explain that theory of relativity again, I have a little confusion?”
When the real Einstein saw these developments, he was very upset that what to do now, the reality is going to be revealed to everyone… Poor driver will be caught and who will be insulted, so different.
But after a few moments, the great scientist Einstein was surprised to hear the answer of his driver …
The driver said very politely- “What are you saying sir …. This simple thing did not come to your mind? Ask this little thing to my driver, — he will explain it to you very well .. .No need to say anything more to me ….. After that took over everything else behind Einstein.
*** So if we keep in touch with good, noble and intelligent people in our life then it must have an effect on our ethics, thoughts and behavior. Friendship should always be done with gentlemen and scholars as living with perfume seller. The fragrance comes on its own. Sant Kabirdas ji has also said ………
“Kabir Sangat Sadhu’s Jindi’s Bass …
Whatever the smell may not give, even if the bass is subas “… !!