चंद्र ग्रहण वह स्थिति है जिसमें पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य के बीच आ जाती है। इस स्थिति में चंद्रमा क पूरा या आधा भाग ढ़क जाता है। इसी को चंद्र ग्रहण कहा जाता है।
चंद्र ग्रहण और हिन्दू धर्म (Chandra Grahan and Hinduism)
हिंदू धर्म में चंद्र ग्रहण का धार्मिक दृष्टि से बहुत विशेष महत्त्व होता है। इसे हिन्दू धर्म में शुभ नहीं माना जाता है। मत्स्य पुराण के अनुसार किसी अन्य कार्य की बजय ग्रहण काल में ईश्वर की आराधना करनी चाहिए। माना जाता है कि गर्भवती महिला को ग्रहण के समय बाहर नहीं निकलना चाहिए। ऐसा करने से उसके गर्भ में पल रहे बच्चे पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
ग्रहण के समय बरती जाने सावधानियां (Precautions Taken During the Lunar Eclipse)
- हिंदू मान्यतानुसार चंद्र ग्रहण के समय कुछ भी खाना या पीना नहीं चाहिए। ऐसा करने से किसी भी प्रकार के बुरे प्रभाव से बचा जा सकता है।
- हिन्दू धर्म के अनुसार ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं का बाहर नहीं निकलना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि ग्रहण के समय राहु और केतु का दुष्ट प्रभाव बढ़ जाता है। जिसके दुष्प्रभाव के कारण गर्भ में पल रहे बच्चें को कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं।
- चंद्र ग्रहण के समय सर में तेल लगाना, पानी पीना, मल- मूत्र त्याग, बाल में कंघी, ब्रश आदि कार्य नहीं करना चाहिए।
- घर में रखे अनाज या खाने को ग्रहण से बचाने के लिए दूर्वा या तुलसी के पत्ते का प्रयोग करना चाहिए।
- ग्रहण समाप्त होने के बाद तुरंत स्नान कर लेना चाहिए। इसके साथ ही ब्राह्मण को अनाज या रुपया दान में देना चाहिए।
- यहां यह ध्यान रखना चाहिए कि उपरोक्त बातों का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है लेकिन धर्म के अनुसार इन बातों का जिक्र किया जाता है। भविष्यपुराण, नारदपुराण आदि कई पुराणों में चन्द्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण के समय अपनाने वाली हिदायतों के बारें में बताया गया है।