गुरु नानकदेवजी सत्य का महत्त्व प्रदर्शित करते हुए कहा करते थे, “किव सचियारा होइये किव कुडै तुटै पालि-साधक को ऐसा सचियारा होना चाहिए कि वह हर क्षण सत्य का अनुसरण करता रहे। उसे भगवान् के नाम के सुमिरन से मन के मैल को साफ करना चाहिए ।
वे उपदेश में कहते हैं, ‘बिना परश्रम के पाया गया धन या बेईमानी से प्राप्त पैसा विष की तरह मन व शरीर को रोगी बनाकर नाश कर डालता है। इसलिए सच्चाई से अर्जित आय से ही परिवार का पालन करने में भलाई है।
गुरुजी आगे कहते हैं, ‘साचा साहिबु, साचु नाई भाखिया भाड अपारू’-वह स्वामी सत्य है, उसका बखान करने के भाव अनगिनत हैं, यह जान लो कि वह सत्य रूप प्रभु ही सबकुछ है। उसका ध्यान ही हमें पवित्र रख सकता है।
सत्कर्म करने की प्रेरणा देते हुए वे कहते हैं, ‘कर्म ही उत्थान-पतन का कारण है। यदि सत्कर्म करोगे, तो अच्छे कहलाओगे। दुष्कर्म करोगे, तो प्रभु व समाज-दोनों की नजरों में गिर जाओगे।
बाह्य पवित्रता की जगह आंतरिक पवित्रता पर बल देते हुए गुरुजी कहते हैं, ‘अपवित्रता तो ज्ञान व ईश्वर के नाम से ही दूर हो सकती है। मन की अपवित्रता लोभ है।
पराए धन और पराई स्त्री के प्रति आकर्षण आँख का अशौच है। परनिंदा सुनना, गंदी बातें सुनना कान का अशौच है। हृदय को अपवित्र विचारों से हमेशा दूर रखना चाहिए।
कुसंग के कारण मन मलिन बनता है और जीव अकारण यमलोक का वासी बनता है। वही सच्चा भक्त है, जो निश्छल रहते हुए, सदाचार का जीवन बिताते हुए भी भगवान् के नाम का हर क्षण सुमिरन करता रहे या ध्यान लगाता रहे।
English Translation
Guru Nanak Devji used to display the importance of truth and said, “Kiv sachiyara hoye kiv kudai tutai Pali-sadhaka should be such a sachiyara that he should be pursuing truth every moment. He should clean the filth of the mind by chanting the name of the Lord.
He says in the sermon, ‘Wealth found without hard work or money obtained through dishonesty, like poison, destroys the mind and body by making it sick. Therefore, it is good to maintain the family only from the income earned from truth.
Guruji goes on to say, ‘Sacha Sahibu, Sachu Nai Bhakhiya Bhad Aparu’ – That Lord is Truth, there are countless ways to describe Him, know that the Lord is everything. Only His meditation can keep us pure.
Giving inspiration to do good deeds, he says, ‘Karma is the cause of rise and fall. If you do good deeds, you will be called good. If you commit misdeeds, you will fall in the eyes of both the Lord and the society.
Emphasizing on inner purity rather than outer purity, Guruji says, ‘Impureness can be removed only through knowledge and the name of God. The impurity of mind is greed.
Attraction towards foreign wealth and foreign woman is unclean of the eye. Hearing blasphemy, listening to dirty things is the uncleanness of the ear. The heart should always be kept away from impure thoughts.
Due to misbehavior, the mind becomes dirty and the soul becomes a resident of Yamaloka without any reason. He is the true devotee, who, while remaining immaculate, living a life of virtue, keeps chanting or meditating on the name of the Lord every moment.