मोहे हुक लगी दर्शन की दर्शन कैसे पाउगी
मेरे रोम रोम में कान्हा दर्शन कैसे पाउंगी,
मोहे हुक लगी दर्शन की……
कान्हा बंसी मधुर बजावे मेरे मन का चैन चुरावे,
सुध बुध खो के बैठी कान्हा दर्शन कैसे पाउगी
मोहे हुक लगी दर्शन की …..
सांवली सूरत मन में समाये
मोहनी मूरत मन को भाये,
कान्हा धुन में हुई मस्तानी दर्शन कैसे पाउगी
मोहे हुक लगी दर्शन की ……
साबुन से मैं मल के नहाई मन का मैल मैं धो न पाई,
मैंने जपी न मन की माला दर्शन कैसे पाउगी
मोहे हुक लगी दर्शन की ……
मेरे रोम रोम में कान्हा दर्शन कैसे पाउंगी,
मोहे हुक लगी दर्शन की……