ओ राधे कहाँ छुपाई रै,
मेरी बाँस बाँसुरिया प्यारी,
बिना मुरलिया जी नहीं लागे,
प्राणों से अति प्यारी,
ओ राधे कहाँ छुपाई रै,
मेरी बाँस बाँसुरिया प्यारी,
कान्हां नहीं बताऊ रे,
कहाँ है बांस बसुरिया प्यारी,
सगरे दिन को रासो तेरो,
लागे अजब बीमारी,
कान्हां नहीं बताऊ रे,
कहाँ है बांस बसुरिया प्यारी,
ओ राधे कहाँ छुपाई रै,
मेरी बाँस बाँसुरिया प्यारी…….
तू बाहे क्यों कहे बीमारी,
सुनकर झूमें गोपियाँ सारी,
जब जब छेड़ूँ तान मुरलिया,
आगे पीछे सब नर नारी,
मन चाहा जुर्माना लेले,
दे दे बंसी हमारी,
कान्हां नहीं बताऊ रे,
कहाँ है बांस बसुरिया प्यारी,
ओ राधे कहाँ लुकाई रै,
मेरी बाँस बाँसुरिया प्यारी…….
जानूँ मैं सब तोरे मन की,
कहे गुजरिया वृन्दावन की,
कंकर मारे तू ललिता को,
नैन लड़ावे फोड़े मटकी,
बंसी का तू करे बहाना,
जानूं मैं बात सारी,
ओ राधे कहाँ लुकाई रै,
मेरी बाँस बाँसुरिया प्यारी,
कान्हां नहीं बताऊ रे,
कहाँ है बांस बसुरिया प्यारी…….
सबसे ज्यादा तू ही झूमें,
मेरे आगे पीछे घूमें,
बंसी में क्या खोट छुपा है,
तुझे बुरा क्या दिखता मुझमे,
बंसी खातिर अरज करूँ मैं,
तू नाराज मचा री,
कान्हां नहीं बताऊ रे,
कहाँ है बांस बसुरिया प्यारी,
ओ राधे कहाँ लुकाई रै,
मेरी बाँस बाँसुरिया प्यारी…….
अच्छा चल बंसी दे दूँगी,
लेकिन धुन बस मैं ही सुनूंगी,
इक दिन भी जो ना ही सुनाई,
बरसाने ना आने दूंगी,
वरना तोरी डंडे से,
लुंगी ख़बरिया सारी,
ओ राधे कहाँ लुकाई रै,
मेरी बाँस बाँसुरिया प्यारी,
कान्हां नहीं बताऊ रे,
कहाँ है बांस बसुरिया प्यारी……
मुरली व्हे गई सौतन मोरी,
जाने सगरी निंदिया तोड़ी,
ना जाने क्या दिखे इसमें,
पागल व्हे गई गाम की छोरी,
समझ ना आए मोहे कान्हां,
काहे सब कुछ हारी,
ओ राधे कहाँ लुकाई रै,
मेरी बाँस बाँसुरिया प्यारी।
कान्हां नहीं बताऊ रे,
कहाँ है बांस बसुरिया प्यारी……
अच्छा मानूँ बात मैं तेरी,
अब तो दे दे बंसरी मेरी,
ना छेड़ूँ ना फोड़ू मटकी,
नहीं करूँगा माखन चोरी,
वापस दे दे मुरली मेरी,
राधे भोली भाली,
कान्हां नहीं बताऊ रे,
कहाँ है बांस बसुरिया प्यारी,
ओ राधे कहाँ लुकाई रै,
मेरी बाँस बाँसुरिया प्यारी…….
कान्हाँ ले जा बंसी तू,
तुझे जो प्राणों से अति प्यारी,
रोज सुनूंगी धुन मुरली की,
सुनले बात हमारी,
कान्हाँ ले जा बंसी तू,
तुझे जो प्राणों से अति प्यारी,
राधे मिल गई बंसी रे,
भुला बात तुम्हारी सारी,
करना शरारत कैसे छोडूं,
मैं हूँ लीलाहारी||