रोज सवेरे सेवा कुंज को जाएंगे,
श्री राधाबल्लभ लाल की मंगला गाएंगे,
मन पुरण होवे काज,
तू रट ले राधा राधा नाम,
मिलेंगे कुंज बिहारी संग श्री श्यामा प्यारी,
मन पुरण होवे काज,
तू रट ले राधा राधा नाम,
मिलेंगे कुंज बिहारी संग श्री श्यामा प्यारी………..
दीवना मै तो मोहन का
जग समझे मैं बौराना।
दीवाना मैं तो मोहन का।।
वो राधा रानी वाले हैं,
और रंग के काले-काले हैं
आंखों की चितवन है ऐसे,
जैसे छलके पैमाना।।
दीवाना…………
वो मोर मुकुटिया वाले हैं,
और केस उनके कुंडलाले हैं।।
चेहरे की छटा देखी जबसे,
मैं हो गया मस्ताना।।
दीवाना ……..
वो गीता गाने वाले है ,
ऊगली पर चक्र सम्हाले हैं।।
मुरली की ताने सुन सुन कर,
हूँ खुद से अंजाना।।
दीवाना…..
वो रास रचाने वाले हैं,
ओऱ नख पर गिरिराज सम्हाले हैं।
राजेन्द्र कहे है राधावर,
कुछ दे दो नज़राना।।
दीवाना…..