मोहे प्रेम का रोग लगाये गयो री वो कान्हा कालो कालो
वो कान्हा बंसी वालो वो कान्हा बंसी वाला
मोहे प्रेम का रोग लगाये गयो री वो कान्हा कालो कालो……
रंग सूरत सब मेरी बुला के मेरी नजर से नजर को मिला के
नैनं को तीर चलाए गयो री वो कान्हा कालो कालो…..
सावली सूरत मोहनी मूर्ति बन गई है अब मेरी जरूरत
मेरे दिल के बीच समाये गयो री
वो कान्हा कालो कालो…..
दुनिया तेरी हुई बलिहारी बात हकीकत कहे ये सारी
मस्ती को रंग चड़ाये गयो रे
वो कान्हा कालो कालो…..
गोवर्धन पे तू ठुमका लगा ले चाची
होंगे कान्हा के दर्शन कहू रे साँची
गोवर्धन पे भतीजे मैं खूब नाची
ना मिले मोहे कान्हा ब्रिज वासी,
चची अर्जी लगा ले मन से श्याम आयेगे वृन्दावन से,
राधे नाम से हो जाए श्याम राजी
होंगे कान्हा के दर्शन कहू रे साँची…..
जैसे धुन में मगन मीरा रानी
वैसे मैं भी हु श्याम की दीवानी,
अपने गिरधर के चरणों की मैं भी दासी
न मिले मोहे कान्हा ब्रिज वासी
राधे राधे की रटन लगा ले दोड़े आयेंगे मुरली वाले
दर्शन देवे गे कान्हा जरुर चाची
होंगे कान्हा के दर्शन कहू रे साँची……