मेरे गोवर्धन गिरधारी,
सुन लो ना अरज हमारी,
मेरे गोवर्धन गिरधारी,
सुन लो ना अरज हमारी……
तुम रूसा रुसी छोड़ भी दो,
मुख मेरी तरफ अब मोड़ भी लो,
आई मैं शरण तुम्हारी,
सुन लो ना अर्ज हमारी…
मेरे दिन बीते, बीतीं रातें,
क्यों करते नहीं मुझसे बातें,
कुछ बोलो ना बनवारी,
सुन लो ना अर्ज हमारी,
मेरे गोवर्धन गिरधारी,
सुन लो ना अरज हमारी….
तुम सागर हो करुणा रस के,
मुझमे अवगुण दुनियाँ भर के,
फिर भी मैं दासी तुम्हारी,
सुन लो ना अर्ज हमारी…