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जब वचन दिया है तूने

फिर क्यों बुला हरी का नाम जब वचन दिया है तूने
जब वचन दिया है तूने
फिर क्यों बुला हरी का नाम जब वचन दिया है तूने,,,,,

जब गरव में तुझे लटकाया तूने बार बार फरमाया
मैं तुझे भूलू न मेरे राम जब वचन दिया है तूने,,,,

उस नरक से तुझे छुड़ाया और देदी सुंदर काया,
तू रहे गोद में सुबह शाम जब वचन दिया है तूने,,,,

पड लिख तुझे आये जवानी तूने बात किसी की न मानी
अब तुझे पकड़ रहा है काम जब वचन दिया है तूने,,,,,

जब निश्त जग से जाए फिर दिल क्यों किसी का दुखाये
भारद्वाज कामुल जाए उसके धाम जब वचन दिया है तूने,,,,,,,

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