चाहे कोई भी पुकारे किसी नाम से
श्याम नाम बस मुझे सुनता
सुनके ये नाम तेरा संवारे बिगड़ा जो काम वो भी बनता………
हो जब से श्याम नाम मेरे जीवन में आया है
हो जीवन की हर इक मंजिल को मैंने पाया है
एसी हुई दीवानी मैं ओत उसके नाम की
छोड़ी सारी दुनिया मैंने उसको चाहा है
सुने श्याम ही नाम मैं जागु या सोई
कोई केहता वन्वारे दीवानी भी कोई
पर इस जग की परवाह न मुझे मीत वो मेरे मन का
सुनके ये नाम तेरा संवारे बिगड़ा जो काम वो भी बनता………..
मैंने उस के नाम किया अपना जीवन सारा,
मैं जीत गई हु बाजी क्या हुआ जो दिल हारा
है प्रीत मेरी सची सारा जग ही झूठा है
रूठे चाहे जग सारा पर वो न रूठा है
मैंने जब जब भी कही पुकारा है उसे
आके तब तब ही देता वो साहरा मुझे
मेरे हर पल रहू श्याम नाम धुन में पता नही रात और दिन का
सुनके ये नाम तेरा संवारे बिगड़ा जो काम वो भी बनता……….