ब्रज मोहन ब्रज सांवरे, जय ब्रज के ब्रज राज,
बिराजो ब्रज ही जान कर, निज ब्रज मंडल आज,
तुम हो जग के जगपति, सबकी राखो लाज,
निर्बल मो को जान कर, पत राखो महाराज
कृष्ण तुम्हारे ध्यान में, आठों पहर रहा करूं,
हर दम तुम्हारे ज्ञान के, सागर में ही बहा करूं,
कृष्ण तुम्हारे ध्यान में….
वाणी तुम्हारी हो मधुर, मुरली के मीठे मीठे स्वर,
जादू का जिसमें हो असर, बंसी वो ही सुना करूं,
कृष्ण तुम्हारे ध्यान में….
मोर मुकुट हो प्रीत पट, कुंडल हो कानों में पड़े,
दर्शन मुझे दिया करो, विनती जब मैं किया करूं,
कृष्ण तुम्हारे ध्यान में….
रटना लगी है श्याम अब, मुझको तुम्हारे दर्श की,
पड़ती नहीं ज़रा विकल, तुम्हीं कहो मैं क्या करूं,
कृष्ण तुम्हारे ध्यान में….