तेरी दर्श को ये भगत तरसते क्यों फिर देर लगाता तू
अब आजा जल्दी आजा श्याम अब न देर लगाना तू
अब न देर लगाना तू ऐसे न तडपाना तू
अब आजा जल्दी आजा श्याम अब न देर लगाना तू
दवापर युग में मित्र सुदामा अपना मित्र बनाया क्यों
थोड़े से चावल खा कर तुमने उसका दर्द मिटाया तू
बिन मांगे तूने सब कुछ दियां यारी का फ़र्ज़ निभाया क्यों
अब आजा जल्दी आजा श्याम अब न देर लगाना तू
नरसी पर जब भीड़ तब आ के दर्श दिखाया क्यों
किसी बेहन का भाई नही था भाई बन कर आया तू
हर नंदी जब रो रो पुकारे अधि भात भराया क्यों
अब आजा जल्दी आजा श्याम अब न देर लगाना तू
पांचो पांडव हार गए जब ऐसा चकर चलाया क्यों
द्रोपती का जब चीर खीचा था आके चीर बडाया क्यों
महाभारत में अर्जुन को गीता का ज्ञान कराया क्यों
अब आजा जल्दी आजा श्याम अब न देर लगाना तू
धरमेंदर भी कलयुग में अब तेरी करे दुहाई रे
इंदर जीत का साथ लिया इस नन्ही सी कविताई ने
दिनेश ये पागल तेरा है तेरे ही गुण गाता यु
अब आजा जल्दी आजा श्याम अब न देर लगाना तू………..