सलोना संवारा नैना मिला कर दिल ले गया,
मनोहर मोहना यादे चित को कितनी दे गया,
व्याकुल होता जाए धीर न मन में आये ऐसा धीर कर गया,
सलोना संवारा नैना मिला कर दिल ले गया,
जब से लड़ी है उस से नजरियां नजर मुझे वही आये,
जितना भी जाऊ मैं पास उसके वो उतना दूर चला जाए,
समज न आये यत्न करू क्या मन जो धीर आये,
ये मन मेरा वनवरा इक पल में झट से उसका हो गया,
व्याकुल होता जाए धीर न मन में आये ऐसा धीर कर गया,
सलोना संवारा नैना मिला कर दिल ले गया,
उसके दीद को व्याकुल हो कर दर दर भटक रहा मन,
देदे अपना दर्शन सांवरियां धीरज आये तन मन,
तेरी चाह में बनी वनवारी अब न कुछ मन भाये,
ओ बांके बिहारी इतना निष्ठुर क्यों हो गया,
व्याकुल होता जाए धीर न मन में आये ऐसा धीर कर गया,
सलोना संवारा नैना मिला कर दिल ले गया,
तेरे दर्शन बिन प्यारे मोहन घर न वापिस जाऊ ,
करना हो तेरा दर्शन कन्हियान दृष्टि हीं हो जाऊ,
आना पड़े गए तुझको मोहन अपने दीद कराने,
मुरली धर गोपाला ध्यान धर तू मन की व्यथा ,
व्याकुल होता जाए धीर न मन में आये ऐसा धीर कर गया,
सलोना संवारा नैना मिला कर दिल ले गया,,,,,,,,,