मन से हारे हारे के सहारे
अपने भी तो हुए न हमारे,
मन से हारे हारे के सहारे
कैसे जीयु मैं अब तो छाले पड़े है मन में गाव है,
खुशिया मिली न मुझको सुना है मन न मन में भाव है,
हम रो रहेगे सदा शरण तुम्हारे,
मन से हारे हारे के सहारे
खाटू की गलियों में अब बीते गा जीवन मेरा श्याम रे,
ना जाऊ छोड़ के तुझको हाथ पकड़ लो मेरा संवारे,
इक तू ही है जो जीवन सवारे
मन से हारे हारे के सहारे
नीले पे चड के आजा देखू गा तुझको अपने सामने,
भरदिया दामन मीठी खुशियाँ से बाबा मेरे श्याम ने
राजू पुरे होंगे पाप हमारे
मन से हारे हारे के सहारे…………