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कान्हा आयो है


खुशी से झूम रहा गोकुल, नंद घर कान्हा आयो है,
आधी रात में जन्मे कान्हा, मन हरषायो है…-2
खुशी से झूम रहा गोकुल, नंद घर कान्हा आयो है……

ढपली ढोलक झांझ नगाड़ा, और बजे शहनाई,
गोकुल के घर घर में देखो, बट रही आज बधाई,
नंद बाबा के घर आंगन में, आनंद छायो है।
खुशी से झूम रहा गोकुल, नंद घर कान्हा आयो है……

मात यशोदा के लल्ला को, देखण दुनिया आई,
श्याम सलोनी सूरत प्यारी, निरखे लोग लुगाई,
झूल रहा पलने नंदलाला, मन मुस्कायो है।
खुशी से झूम रहा गोकुल, नंद घर कान्हा आयो है……

जगमग जगमग करे आंगणो, मस्ती मन में छाई,
गूँज रहे हैं गीत फिजा में, मंगल बेला आई,
गगन मंडल भी आज खुशी से, जल बरसायो है।
खुशी से झूम रहा गोकुल, नंद घर कान्हा आयो है……

धरती और आकाश हर्षे, देख नजारों प्यारो,
फूलो नही समायो कान्हा, शिव सुबोध यो थारो,
रूप तिहारो मोहन प्यारो, नैण समायो है।
खुशी से झूम रहा गोकुल, नंद घर कान्हा आयो है………………

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