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चल चल रे कान्हा मधुवन में


चल रे कान्हा मधुवन में
चल चल रे कान्हा मधुवन में
तेरी बंसी मेरी पायल दोनों साथ भजाए गे
जम के रास रचाए गे,

हम क्यों जाए मधुवन में यमुना जी के पनघट पे
ग्वाल बाल के संग में मिल कर
अपनी गाये चराए गे
चल रे कान्हा मधुवन में

है सावन की रीत मस्तानी झूम के आई वरखा रानी,
ऐसे मोहे बंसी सुना दे मत कर आना कानी आना कानी
कारे कारे देख के बदरा डर लगता है मन में
ऐसे मोसम में जाउंगो ना राधा मैं वन में
चल चल रे कान्हा मधुवन में

कर जोरी की मान कन्हियाँ
जोडू हाथ पडू तेरे पइयाँ
ठंडे ठंडे ले हिचकोले चल रही पुरवइया पुरवइया
ठंडी ठंडी पुरवाई से
होगा दर्द बदन में
ऐसे में तो रेहना चाहू मैं घर के आंगन में
चल चल रे कान्हा मधुवन में….

क्यों राधे के दुल को दुखाये सावन की रुत विती जाए,
कहे अनाडी तुम बिन मुझको झुला मुझको झुलाए झुलाए
रिम झिम मेघ बरस रहे है ब्रिज की सब गलियां में
झुला तोहे झुलादु राधे आजा मोरी बहियन में
चल चल रे कान्हा मधुवन में…..

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