यशोदा तेरा लाला नटखट बड़ा है
तोड़ा इसने मेरा पानी का घड़ा है
पनघट पे जाऊं तो यह मिल जाए
तिरछे तिरछे नैनो से मुझको रिझाए
जाने ना देवे रस्ते में खड़ा है
उचक उचक के कंकरिया मारे
मटकी जो फूटी तो ताली बजावे
सौगंध दी तो हमसे लड़ा है
भोर हुई जब जमुना गई थी
सांझ ढले पर घर पहुंची थी
ऐसे नटखट से पाला पड़ा है
संग सहेली ताने मोहे मारे
क्यों गई अकेली कह के चिड़ावे
कैसे बताऊं मेरे दिल में बसा है
यशोदा तेरा लाला नटखट बड़ा है………