हम गुन्हेगार है तेरे श्याम बरसो से,
मांगते है शमा तुझसे तेरे भगतो से,
तूने श्रिष्टि की खातिर था शीश का दान दिया,
तूने धर्म की रक्षा की सबका कल्याण किया,
वीरो के वीर थे तुम सूर वीर थे,
याचक बने श्री कृष्ण तुम तो दान वीर थे,
धर्म जो तूने हमे सिखलाया,
कर्म जो तूने करके दिखलया,
भूल बैठे है सारे आज देखो कलयुग में,
हम तो निदान है तेरे श्याम बरसो से,
मांगते है शमा तुझसे तेरे भगतो से
तेरी इस क़ुरबानी से नहीं कुछ भी सीखा हमने,
सवर्थ हो स्वार्थ है प्रभु हम सबके जीवन में,
दर तेरे आते है पिकनिक मनाते है,
घर लौट कर बलिदान तेरा भूल जाते है,
एहम में चूर है सतय से दूर है,
बनके प्रेमी तेरे फिर भी मशहूर है,
दिखवा ही दिखवा है सबके जीवन में,
हम तो निदान है तेरे श्याम बरसो से,
मांगते है शमा तुझसे तेरे भगतो से
मेरी ये विनती है हमें सच्ची लगन लगा,
हम को भी थोड़ी सी भगति की राह दिखा,
पड़ना दिखवे में जग के शिलावे में,
हम बहके न प्रभु दोणिगियो के छल बहकावे में,
मन में ईमान को कभी न गुमान हो,
तेरे प्रेमी की जग में ऐसी पहचान हो,
रखना तुम दूर रोमी को बुरे कर्मो से,
हम तो निदान है तेरे श्याम बरसो से,
मांगते है शमा तुझसे तेरे भगतो से…………….