ओ साँवरिया तूने पागल ही कर दिया
कारे कारे नैनो से घायल ही कर दियां
ओ साँवरिया तूने पागल ही कर दिया
मेरी सुध बुध विसरा के दिल का रोग लगा के ,
इक झलक दिखला के श्याम कहा छिपा है जाके,
मुरली की धुन पे तूने सब को नचा दिया
ओ साँवरिया तूने पागल ही कर दिया
ब्रिज की कुञ्ज गलिन में जब देखा नन्द लाला
अखियन आगे आये श्याम तेरा मुखड़ा भोला भाला
ना नींद मुझको आये चैन चुरा लियां
ओ साँवरिया तूने पागल ही कर दिया
देख सूरतियाँ प्यारी मती गई मेरी मारी
मारी नैन कटारी श्याम मैं डोलू मारी मारी
ओ संवारे सलोने काहे सता रहा
ओ साँवरिया तूने पागल ही कर दिया……