करुणामयी स्वामिनी श्री राधे इक कोर किरपा की कर देना
चोकठ पे तुम्हारी दम निकले मुझको इतना ही भर देना
करुणामयी स्वामिनी श्री राधे इक कोर किरपा की कर देना
जब याद तुम्हारी आती है बह जाता हु मैं भावो में
मेरा जी करता है रो लू तेरे आँचल की छावो में
मैं दीं हीन व्रत शीन प्रिया मुझे अपनी शरण में रख लेना
करुणामयी स्वामिनी श्री राधे इक कोर किरपा की कर देना
अवगुण विसरा कर तुम सब के
अप्राद छमा कर देती नईया चाहे नदियाँ हो या रेती हो,
मुझे जान के अपना हे श्यामा निज चरणों की पावन रज देना
करुणामयी स्वामिनी श्री राधे इक कोर किरपा की कर देना
तूने पल में भाग्य सवारा है जाने कितनो को तारा है
बरसाने आ कर ही मेरा चमका किस्मत का सितारा है,
अति तन की हो सरताज पिया
दासी को पावन कर देना
करुणामयी स्वामिनी श्री राधे इक कोर किरपा की कर देना………