जब पढ़ जाता मैं तन्हा दिल मेरा गबराए,
तेरे नाम की श्याम प्रभु मुझको हिचकी आये,
बाते दिल की मेरी सब तुझे है पता
हो मेरे संवारे सुनो जरा
बन के रेहना मेरे यु ही तुम
ओ मेरे संवारे सुनो जरा
रंग बदलती दुनिया का है दस्तूर अनोखा,
कब मिल जाए अपनों से हम को याहा पे धोखा
रूठ जाए ये जग तुम न होना खफा
हो मेरे संवारे सुनो जरा
तुम से ही आबाद मेरी ये छोटी सी दुनिया
तुम से ही हर चाहत है तुम से ही हर खुशिया
और चाहू भला इस से ज्यदा मैं क्या
ओ मेरे संवारे सुनो जरा
बेरंग से इस जीवन में अपना रंग चडाया,
तूने अपनी खुशबु से संजय को मेह्काया
करता कुंदन तेरा संवारे शुकरीयाँ
ओ मेरे संवारे सुनो जरा,,,,,,,,,,