तेरे दर आने जो ये दिल मेरा तडपता है,
कैसे दिल को प्रभु सम्बाले ये मचलता है,
लाख समजाने पे ये दिल नही समझता है,
कैसे दिल को प्रभु सम्बाले ये मचलता है,
तेरी गलियों में फिर से आना है
फिर वही महफिले सजाना है,
प्रेमियों का याहा वो प्यार मिला
जब भी चाहा तेरा दीदार मिला
उसी दर पे मेरा ये दिल प्रभु बेहलता है,
कैसे दिल को प्रभु सम्बाले ये मचलता है,
तेरी प्प्रेमी तेरे दीवाने है
अपना समजो नही बेगाने
हर घडी तेरे साथ रहना है
दिल में जो कुछ है तुमसे केहना है
क्या ये सुन के भी तेरा दिल नही पिगालता है
कैसे दिल को प्रभु सम्बाले ये मचलता है,
खाब आँखों में में फिर सजाये है,
आस मिलने की दिल में लाये है,
ये तडप अब सही न जायेगे फिर से मिलने की घडी आएगी,
अब यही सोच के विकास भी समबलता है,
कैसे दिल को प्रभु सम्बाले ये मचलता है,,,,,,,