मैं जाण्यो नाहीं हरि से मिलण कैसे होया
हरी से मिल्न कैसे होया प्रभु से मिलन कैसे होया
मैं जाण्यो नाहीं हरि से मिलण कैसे होया
आये मेरे सजना फिर गये अंगना,
मैया फागन रेह गई सोई
मैं जाण्यो नाहीं हरि से मिलण कैसे होया
वारु गी चीर करु गल कंठा
मैं रहूगा वैरागन होए
मैं जाण्यो नाहीं हरि से मिलण कैसे होया
निश्वषर मोहे विरहे सतावे
पल न परत पल मोये
मैं जाण्यो नाहीं हरि से मिलण कैसे होया
मीरा के प्रभु हरी अविनाशी
तुम मिलिया सुख होए
मैं जाण्यो नाहीं हरि से मिलण कैसे होया………