काहे तूने प्रीत सिखाई कृष्णा
ओ मेरे कान्हा काहे तूने प्रीत सिखाई कृष्णा
कान्हा तेरो आँखों से चलता है जादू
जादूगर लगता है सब से बड़ा तू
जादू चला के न मुझको उड़ा तू
हो ना जाऊ खुद से पराई कृष्णा
सिखा कहा तूने नींदिया चुराना
चोरी चोरी रतियो में सपनो में आना
पाया ये हुनर कहा इतना बताना खूबी तुनि एसी कहा पाई कृष्णा
काहे तूने प्रीत सिखाई कृष्णा
जियारा जराए रे तेरी मुरलियां,
उड़ उड़ जाए मेरी मन की कोयालियाँ
छोड़ दे सताना तू नटखट छलियाँ,
तू क्या जाने क्या होती जुदाई कृष्णा
काहे तूने प्रीत सिखाई कृष्णा………..