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साहसी बकरी की कहानी /Brave Goat Story in Hindi

साहसी बकरी की कहानी Brave Goat Story in Hindi. एक समय की बात है। एक गांव में प्रसिद्ध पुजारी रहता था। वह लोगों में बहुत प्रचलित था क्योंकि लोग उसे सिद्ध पुरुष मानते थे और उसकी कही हुई बातों को सुनते थे। लेकिन वह लोगों को पूजा करने की गलत-गलत विधि बताता था। वह सबसे बलि देने को कहता। उसका मानना था कि बलि देने से ईश्वर खुश होते हैं। वह लोगों को बकरियों की बलि देने के लिए प्रोत्साहित करता था।

एक दिन उस पुजारी ने भी एक बकरी का बलि देने के बारे में सोचा। उसने अपने दो शिष्यों को बुलाया और उनसे कहा, “जाओ और एक बकरी लेकर आओ। याद रहे वह बकरी अच्छी होनी चाहिए। आज हम उसका बलि देंगे।”

उस पुजारी के शिष्यों ने वैसा ही किया। उन्होंने एक बकरी लाया और पुजारी से कहा, “आपने जैसा कहा हम उसी प्रकार एक अच्छी बकरी लेकर आए हैं। अब हम इसका क्या करें?”

ऐसे में पुजारी ने अपने शिष्यों से कहा, “सबसे पहले हमें इस बकरी को शुद्ध करना होगा। इसके लिए इसे नदी में नहलाना होगा। तुम दोनों जाओ और इस बकरी को नदी में नहलाकर लाओ।”

“जैसी आपकी आज्ञा।” उन दोनों शिष्यों ने कहा।

जब वे जा रहे थे तब पुजारी ने फिरसे उनसे कहा, “बकरी को नहला लेने के बाद तुम दोनों भी नहा लेना और साफ वस्त्र पहन कर आ जाना।”

यह सब बातें बकरी भी सुन रहा था और वह समझ चुका था कि वे लोग उसे मारने वाले हैं। ऐसे में वह बकरी खुदको बचाने के बारे में सोचने लगा। खुदको बचाने के लिए बकरी ऐसा क्या करेगा जिससे कि उसकी जान बच जाए? तभी उसके दिमाग में एक तरकीब सुझी।

कुछ देर बाद वे तीनों नदी के पास पहुंच गए और फिर तीनों नदी के अंदर जाकर नहाने लगे। जब दोनों शिष्य बकरी को नहला रहें थे तब वह बकरी हंसने लगा। बकरी बहुत जोर जोर से हंसता रहा। उस बकरी को देखकर दोनों शिष्य हैरान थे। फिर कुछ देर बाद वह बकरी रोने लगा। उस बकरी को रोता देख वह दोनों और भी ज्यादा अचंभित थे।

ऐसे में एक शिष्य ने बकरी से पूछा, “तुम ऐसा क्यों कर रहे हो? कुछ देर पहले तो तुम हंस रहे थे और अभी रो रहे हो ऐसा क्या हुआ है?”

उस शिष्य के सवाल पर बकरी ने यह तो नहीं बताया कि वह क्यों हस रहा था। लेकिन उसने यह जरूर बताया कि वह रो क्यों रहा था? बकरी ने उनसे कहा, “मैं तुम्हारे गुरुजी के बारे में सोच कर हंस रहा हूं।”

ऐसे में दोनों शिष्य क्रोधित हो गए और उस बकरी से बोले, “तुम हमारे पुजारी का अपमान कर रहे हो।”

दोनों शिष्य बकरी को अपने गुरुजी के पास ले गए और उन्हें बताया, “गुरुजी यह बकरी आपके बारे में सोचकर रो रहा था।”

ऐसे में पुजारी ने कहा, “अरे मूर्ख बकरी तुम पागल हो क्या? तुम्हारी मृत्यु नजदीक है और मेरे बारे में सोच कर रो रहे हो। हमें भी बताओ कि आखिर तुम क्यों हस रहे थे और मेरे बारे में ऐसा क्या सोच लिया तुमने जो तुम रोने लगे?”

बकरी ने बताया, “पिछले जन्म में मैं भी तुम्हारी तरह एक पुजारी था और मैंने बहुत सारी बकरियों का बलि दिया। इसी वजह से इस जनम में श्राप के चलते मैं बकरी बना हूं। और जो कोई भी मुझे मारेगा तब मैं अपने श्राप से मुक्त हो जाऊंगा और अगले जन्म में एक अच्छा जीवन पाऊंगा यह सोचकर मैं हंस रहा था। लेकिन जो मुझे मारेगा उसे अगले जन्म में बकरी बनना पड़ेगा और आप मुझे मारने वाले हैं जिससे कि अगले जन्म में आपको बकरी बनना पड़ेगा। यह सोचकर मैं रो रहा था।”

यह सब सुनकर वह पुजारी थोड़ा डर गया और उस बकरी की बातों में आ गया। उसने अपना विचार बदल लिया और अपने शिष्यों से बोला, “इस बकरी को आजाद कर दो। इसके गले से रस्सी हटा दो और इसे जाने दो।”

ऐसे में उनमें से एक शिष्य ने कहा, “गुरु जी आपने बहुत से लोगों को बलि देने के लिए कहा है उनका क्या?”

“आज के बाद से कोई भी किसी का बलि नहीं देगा। यह जाकर लोगों को कह दो।” उस पुजारी ने अपने शिष्यों से कहा और इस तरह से उस बकरी ने अपनी और बाकी के जानवरों की जान बचाई|

Moral of Brave Goat Story in Hindi

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि मुसीबत के समय हमें अपने दिमाग का इस्तेमाल करते हुए परेशानी को हल करने का विचार करना चाहिए। अगर हम सिर्फ परेशानी के बारे में सोचते रहेंगे तो उससे कभी छुटकारा नहीं पाएंगे।

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