यह कहानी है डब्बी द पेंग्विन की है। डब्बी अपने परिवार के साथ अंटार्कटिका के सबसे ठंडी जगह पर रहता था। डब्बी रोज अपने परिवार के साथ सुबह-सुबह मछलियां पकड़ने निकल जाता। मछली पकड़ते वक्त बहुत ही ज्यादा मज़े करता। वह बर्फ के ग्लेशियर के किनारे आकर खड़ा हो जाता और पानी में देखता रहता। जैसे ही उसे कोई मछली दिखती तो तुरंत अपना हाथ अंदर डालकर मछली पकड़कर बाहर निकलता। मछली निकालकर वह जोर-जोर से चिल्लाता, “मुझे मिल गया! मुझे मिल गया!”
उसको इस तरह से नाचता और चिल्लाता देख उसके माता-पिता बहुत ही ज्यादा खुश होते। उसके चेहरे की खुशी और उत्साह उनके माता-पिता को बहुत अच्छी लगती थी।
उनका परिवार खुशी-खुशी रह रहा था कि तभी अचानक एक दिन जब वे शिकार पर गए थे। कुछ शिकारी मनुष्य बड़ी सी नाव में आकर पेंग्विन के बच्चों को पकड़ कर ले गए। उनको पकड़ने के लिए शिकारियों ने जाल बिछाया था। बच्चों को यूंही ले जाता देख उनके माता-पिता कुछ भी नहीं कर पा रहे थे। अपने अंदर के दर्द को और डर को जाहिर करने के लिए वे बार-बार चिल्ला रहे थे, “उन्हें छोड़ दो कृपया करके हमारे बच्चों को छोड़ दो। उन्हें पकड़कर मत ले जाओ। वे हमारे बच्चे हैं।” लेकिन उन लोगों ने पेंग्विंस की बात नहीं सुनी और वे उन्हें अपने जाल में फंसा कर ले गए।
सारे पेंग्विन जाल में फंसे हुए थे और सब बहुत ही ज्यादा डर चुके थे। उन लोगों ने पेंग्विंस को नाव में रखा। नाव में रखने के बाद वे लोग आपस में बात करने लगे। एक व्यक्ति ने कहां, “आज तो हमने बहुत सारा पेंग्विन पकड़ा है। लगता है इस बार कमाई बहुत अच्छी होने वाली है। जाकर हम इन्हें तुरंत बेच सकते हैं।”
“हां तुम बिल्कुल ठीक कह रहे हो। इस बार हमने सबसे ज्यादा पेंग्विन पकड़ा है।” दूसरे व्यक्ति ने कहा, “लेकिन हमें इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि कोई पुलिस हमें ना पकड़ ले क्योंकि हम एक गैर कानूनी काम कर रहे हैं।”
पेंग्विन उनकी बातों को सुन रहे थे और अंदर ही अंदर डर रहे थे कि उनके साथ अब क्या होने वाला है? उन लोगों ने एक-एक करके पेंग्विंस को जाल से बाहर निकाला और उन्हें एक बड़े से पिंजरे में डालते गए। वह पिंजरा बहुत ही ज्यादा बड़ा था जिसमें एक साथ 30 पेंग्विंस आ सकते थे लेकिन जाल में सिर्फ 25 पेंग्विंस ही थे। पेंग्विंस को पिंजरे में भरने के बाद उन लोगों ने पिंजरे में ताला लगा दिया। पहरेदार ने चाबी जेब में रख दिया। फिर उस पिजड़े को उठाकर जहाज के सबसे नीचे वाले कमरे में रख दिया गया। पहरेदार दरवाजे के पास बैठता था और उस कमरे की रखवाली करता था।
सारे पेंग्विन सोच रहे थे कि वे वहां से बाहर कैसे निकलेंगे। लेकिन उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करेंगे। तभी उनमें से डब्बी पेंग्विन उन सब को बोला, “मेरे पास एक तरकीब है जिससे कि हम यहां से बाहर निकलने की कोशिश कर सकते हैं।” फिर उसने सबके कान में अपनी तरकीब बताई।
रात का समय हुआ और उस पहरेदार को हल्की-हल्की नींद आने लगी। सारे पेंग्विंस की नजर उस पहरेदार पर थी। कुछ देर बाद वह सो गया। उसके सोते ही वह छोटा पेंग्विन पिंजरे के रॉड के बीच से निकलने की कोशिश करने लगा। उसने हल्का सा जोर लगाया और वह पिंजड़े के बाहर आ गया। जैसे ही वह पिंजड़े के बाहर निकला उसने सबसे कहा, “देखा, छोटा शरीर होने का कितना फायदा है।” उसके यह कहने के बाद सब ने एक साथ सुउउउऊऊऊऊऊ की आवाज लगाई। क्योंकि थोड़ी सी भी आवाज से वह पहरेदार उठ सकता था।
फिर वह छोटा पेंग्विन धीरे-धीरे उस पहरेदार के पास गया। वह पहरेदार के पास पहुंचा और उसने पहरेदार के जेब में हाथ डाला। जैसे ही उसने पहरेदार के जेब में हाथ डाला उस पहरेदार की हल्की सी नींद खुल गई लेकिन बहुत नींद में होने के कारण पहरेदार फिर से सो गया। पेंग्विन ने सावधानी से उस चाबी को निकाला और निकालकर धीरे-धीरे पिंजड़े के पास पहुंचा। उसने पिंजरे का ताला खोला।
ताला खुलते ही सारे पेंग्विंस उस पिंजरे से बाहर आ गए। सबसे आगे डब्बी था और उसके पीछे सारे पेंग्विंस थे। वह सब डब्बी को फॉलो कर रहे थे। वे धीरे-धीरे एक साथ आगे बढ़ने लगे और नाव के किनारे जा पहुंचे। एक-एक करके सब छलांग लगा रहे थे। जब वे छलांग लगा रहे थे तब पानी में से आवाज आ रही थी। आवाज से उस पहरेदार की नींद खुली। उसने देखा कि सारे पेंग्विंस भाग रहे थे इसलिए वह जोर-जोर से चिल्लाने लगा, “उठो! उठो! जागो, वह सब भाग रहे हैं! जल्दी उठो।”
पहरेदार के चिल्लाने की आवाज से सारे के सारे पेंग्विन जल्दी से दौड़कर पानी में कूद गए। पानी में कूदने के बाद सब तेजी से दौड़ने लगे और तैरकर उस जहाज से दूर आ गए। जहाज के लोग उन्हें देखते ही रह गए और वे उनके हाथ से निकल गए।
अब वह सारे पेंग्विंस डब्बी के पीछे थे। वे डरते डरते अपने घर की ओर जा रहे थे उन्हें बहुत ही लंबा सफर तय करना पड़ा फिर भी लगभग लगभग 1 दिन के बाद अपने घर वापस पहुंच गए उनके माता-पिता अपने बच्चों को देखकर बहुत ही ज्यादा खुश थे। और इस तरह से डब्बी ने अपनी और बाकी सब की जान बचाई।