अनूप और कल्पेश दो अच्छे दोस्त थे। वे दोनों एक ही कक्षा में साथ में ही पढ़ते थे। पढ़ाई में दोनों ही बड़े होशियार थे। पढ़ाई करना उनका पहला काम था। अन्य चीजों पर वे बाद में ध्यान देते थे।
पढ़ाई में उन दोनों मुकाबला रहता था। कभी अनूप प्रथम आता, तो कभी कल्पेश। दोनों में यह बताना मुश्किल था कि पढ़ाई में कौन आगे है। दोनों को उनके क्लास टीचर भी बहुत चाहते थे। क्लास के सभी बच्चे उन दोनों का बहुत आदर करते थे, क्योंकि वे दोनों पढ़ाई में होक्षियार होने के साथ ही साथ दयातु और नम्न स्वभाव के थे।
कक्षा आठ की परीक्षा हुई। दोनों ने जमकर परीक्षा दी। परीक्षा का रिजल्ट भी घोषित हुआ। इस बार का परीक्षा में अनूप और कल्पेश तो क्या, क्लास के सभी बच्चे और खुद अध्यापक भी हैरान रह गए थे। हर परीक्षाओं में तो अनूप और कल्पेश लगभग साथ-साथ ही रहते थे, मतलब कभी अनूप कल्पेश से दस-पन्द्रह मार्क्स से आगे रहता तो कभी कल्पेश अनूप से | मगर इस बार न जाने क्या हुआ कि कल्पेश ने अनूप से लगभग पचास मार्क्स से बाजी मार ली थी।
परीक्षा के रिजल्ट के बाद दोनों स्कूल से घर लौट रहे थे। अनूप ने कल्पेश से कहा, “क्यो कल्पेश! इस बार तो तुम मुझे बहुत पीछे छोड़ गए। मेरा ऐसा भाग्य कहां, जो तुम्हारे मार्क्स पा सकू।” “नहीं अनूप! ऐसा तो नहीं।” मुस्कराता हुआ कल्पेश बोला। वह अपनी प्रशंसा सुनकर फूला नहीं समा रहा था।
मन ही मन उसे अपने क्लास में सबसे अधिक मार्क्स से पास होने एवं अनूप के द्वार प्रशंसित होने से कल्पेश के मन में अभिमान जाग उठा। घमंड में कल्पेश के मन-मस्तिष्क पर ऐसा बुरा असर छोड़ा कि वह पढ़ाई धीरे-धीरे विचलित होने लगा। क्लास में जब शिक्षक पढ़ाने लगते तो वह दूसरे बच्चों से बातें करने लगता।
एक दिन शिक्षक इतिहास पढ़ा रहे थे। तीसरी पंक्ति में बैठे कल्पेश को बगल के एक लड़के से बातें करते देख शिक्षक ने कल्पेश को बहुत डांटा और छड़ी से उसे पीटा, और फिर उन्होंने पढ़ाना जारी रखा। इस सजा से कल्पेश का क्लास में बातें करना तो बन्द हो गया, परन्तु पढ़ाई पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा। वह घमंड में आकर अनूप से भी कम बोलने लगा।
धीरे-धीरे परीक्षा आने लगी। क्लास के बच्चे जी जान से पढाई मे लग गए थे। कल्पेश बहुत ही आराम में था क्यों की उसे पता था की क्लास में पहला नंबर उससे कोई नहीं है।
परीक्षा हुई। कुछ दिनों बाद परीक्षा का रिजल्ट आ गया। इस बार अनूप क्लास में सबसे पहला आया था, जबकि कल्पेश इस बार अपना परीक्षा का रिजल्ट देखकर चौंक पड़ा। वह परीक्षा में फेल था। कल्पेश की अपनी करनी का फल मिल चुका था।
Moral of the Story – दोस्तों जिंदगी में हमेशा अपनी मेहनत पर भरोसा करो।