नन्दनवन के विशाल वन में एक मनोरम सरोवर था। जिसमें कमल, कुमुदिनी और अन्य सुंदर पुष्प विद्यमान थे। सरोवर के किनारे हरी, कोमल घास का मैदान था। जिसमें अनेक खरगोश रहते थे और हरी, सुकोमल घास खाकर आनंदपूर्वक जीवन व्यतीत करते थे।
उन खरगोशों का राजा विजय बहुत ही बुद्धिमान एवं वाक्पटु था। आस पास के जीव- जंतुओं की समस्याओं एवं झगड़ों का निपटारा वह अपनी बुद्धि और वाक्पटुता से अनायास ही कर देता था।
एक दिन हाथियों का एक समूह उस सरोवर पर जल पीने आया। मदमस्त हाथियों की जलक्रीड़ा से सरोवर का जल गन्दा हो गया। साथ ही अनेक कमल पुष्प भी नष्ट हो गए। उनके घास के मैदान में टहलने से अनेक खरगोशों के बिल नष्ट हो गए।
जिनमें दबकर कई खरगोश मर गए। कुछ ने भागकर इसकी खबर राजा विजय को दी। विजय ने सोचा कि हाथियों से बलपूर्वक निपटना सम्भव नहीं है। इनसे बुद्धिचातुर्य से ही निपटा जा सकता है।
यह सोचकर वह हाथियों के समूह के सरदार के पास गया और बोला, “हम सब एक ही जंगल में रहते हैं। इस नाते हम मित्र हुए और कोई भी मित्र अपने मित्र का बुरा नहीं चाहता। इस कारण से मैं तुम्हे एक बात बताना चाहता हूँ।”
“यह सरोवर चंद्र देव का है। वह रात्रि में यहां विश्राम करने आते हैं। तुमने उनके सरोवर का जल गन्दा कर दिया है और कमलपुष्पों को नष्ट कर दिया है। इससे वे बहुत नाराज हैं और तुम्हें दंड देने चाहते हैं।”
यह सुनकर हाथियों का सरदार भयभीत हो गया। उसने कहा कि अगर तुम मेरे सच्चे मित्र हो तो चन्द्र देव के दंड से बचने का उपाय बताओ।
तब विजय बोला, “इसका तो एक ही उपाय है जब आज रात चंद्र देव आएं तो तुम उनसे क्षमा मांगो और इस जंगल को सदैव के लिए छोड़ दो। तभी तुम और तुम्हारे साथी दंड से बच सकते हो।”
सरदार बोला, “ठीक है, मैं ऐसा ही करूंगा।” रात में जब चन्द्रमा का प्रतिबिंब सरोवर के जम में
दिखाई देने लगा तब खरोगोश विजय हाथियों के सरदार को सरोवर के किनारे ले गया और बोला, “देखो, चन्द्र देव आ गए हैं। क्रोध के कारण उनका आकार भी टेढ़ा हो गया है।”
“तुम जल्दी से क्षमा मांग लो और अपने साथियों के साथ यह जंगल छोड़ दो। अन्यथा तुम्हें चंद्र देव के क्रोध का भागी बनना पड़ेगा।”
हाथियों के सरदार ने तुरंत घुटने टेककर क्षमा मांगी और ऍन्ड साथी हाथियों के साथ जंगल से चला गया। इस तरह उस बुद्धिमान खरगोश ने बलशाली हाथियों से छुटकारा पा लिया।
Moral- सीख
सभी कार्य शारीरिक बल से ही नहीं किये जा सकते। बुद्धिबल के द्वारा बड़े बड़े बलशालियों को भी धूल चटाई जा सकती है। इसलिए बुद्धि को बल से बड़ा माना गया है।