Breaking News

सच्चे मित्र ( हिरण , कबूतर और चूहा ) !!

एक जंगल में एक कबूतर , चूहा और एक हिरण तीनों घनिष्ठ मित्र रहा करते थे। जंगल में बने सरोवर में पानी पीते फल खाते और वही सरोवर के आसपास घुमा फिरा करते थे।

एक समय की बात है  जंगल में एक शिकारी , शिकार करने आया उसने हिरण को पकड़ने के लिए जाल बिछाया। काफी प्रयत्न और मेहनत से शिकारी ने जाल को छिपाकर लगाने सफलता पा ली। शिकारी के जाल में  हिरण आसानी से फंस गया। इस पर कबूतर ने कहा घबराओ मत मित्र मैं देखता हूं शिकारी कहां है और कितनी दूर है मैं। मैं उसको रोकता हूं जब तक हमारा मित्र चूहा तुम्हारे जाल को कुतर देगा और तुम जल्दी से निकल जाओगे।

यही हुआ कबूतर ने शिकारी को ढूंढना शुरू किया।

वह दूर था कबूतर ने अपने प्राण को जोखिम में डालकर शिकारी के ऊपर वार करना शुरू कर दिया। कबूतर के प्रहार से  शिकारी को कुछ समझ में नहीं आया और वह परेशान होकर बचने लगा मगर कबूतर शिकारी को ज्यादा देर तक रोक नहीं पाया।

शिकारी ने जल्दी ही कबूतर पर काबू पा लिया और वह जाल की ओर आया।

यहां चूहे  ने जाल को लगभग काट दिया था अब हिरण आजाद होने वाला था , तभी शिकारी वहां पहुंचा इतने में कबूतर का एक झुंड वह जल्दी से आकर उस शिकारी के ऊपर ताबड़तोड़ आक्रमण कर दिया।

इस आक्रमण से  शिकारी घबरा गया।

थोड़ा सा समय उन कबूतर पर काबू पाने में लगा। इतने मे चूहे ने निडर भाव से जाल को कुतर दिया जिससे हिरण आजाद हो गया। अब क्या था हिरण और चूहा अपने अपने रास्ते भाग चलें। कुछ दूर भागे होंगे उन्होंने पीछे मुड़कर देखा तो उनका मित्र कबूतर शिकारी के चंगुल में आ गया था।

हिरण ने सोचा उसने मेरी जान बचाने के लिए अपनी जान खतरे में डाल दी।

इस पर हिरण धीरे – धीरे लंगड़ाकर चलने लगा शिकारी को ऐसा लगा कि हिरण घायल है  उसके पैर में चोट लगी है इसलिए वह धीरे धीरे चल रहा है , वह भाग नहीं सकता।

शिकारी ने झट से कबूतर को छोड़ दिया और हिरण की तरफ दौड़ा।

शिकारी को आता देख  कबूतर उड़ कर आकाश में चल पड़ा हिरण जो अभी नकल कर रहा था वह भी तेज दौड़ कर भाग गया और चूहा दौड़ कर बिल में घुस गया।

इस प्रकार तीनों दोस्तों की सूझबूझ ने एक दूसरे की रक्षा की।

नैतिक शिक्षा –

आपसी सूझबुझ और समझदारी हो तो किसी भी मुसीबत का सामना किया जा सकता है।

Check Also

malik-naukar

जीवन को खुशी से भरने की कहानी

रामशरण ने कहा-" सर! जब मैं गांव से यहां नौकरी करने शहर आया तो पिताजी ने कहा कि बेटा भगवान जिस हाल में रखे उसमें खुश रहना। तुम्हें तुम्हारे कर्म अनुरूप ही मिलता रहेगा। उस पर भरोसा रखना। इसलिए सर जो मिलता है मैं उसी में खुश रहता हूं