एक जंगल में नंदू नामक एक हाथी रहता था और चिंटू खरगोश उसका दोस्त था। दोनों घनिष्ठ मित्र थे , वह जंगल में एक साथ घूमा करते थे। उन दोनों की दोस्ती के चर्चाएं होती थी।
एक दिन की बात है मौसम अच्छा था , सुहावना था। हरी – हरी घास में चारों तरफ लहरा रही थी। पेड़ों पर कोमल – कोमल पत्तियां आई हुई थी।
खरगोश और हाथी ने खूब पेट भर कर के खाना खाया। जब दोना विश्राम कर रहे थे तो उन्हें खेल खेलने का मन किया। दोनों ने प्लान बनाया और खेल खेलने के लिए तैयार हो गए।
मगर पुराने खेल नहीं खेलना था , नए खेल खेलना था। इस पर नंदू ने बोला हम ऐसा खेल खेलेंगे जो पुराने खेल से अच्छा हो।
वह खेल ऐसे होगा
पहले मैं बैठ जाऊंगा और तुम मेरे ऊपर से उछल कर दूसरी पार कूदोगे फिर तुम बैठोगे मैं तुम्हारे ऊपर से कूद कर दूसरी तरफ निकलूंगा।
मगर इस खेल में एक – दूसरे को स्पर्श नहीं होना है। बिना स्पर्श किये दूसरी तरफ कूदना होगा। चिंटू खरगोश डर रहा था किंतु मित्र का मन था इसलिए वह खेल खेलने को राजी हो गया।
पहले हाथी जमीन पर बैठ गया खरगोश दौड़ कर आया और हाथी के ऊपर से कूदकर दूसरी तरफ बिना स्पर्श किए कूद गया। अब हाथी की बारी थी खरगोश नीचे बैठा मगर डर के मारे यह सोच रहा था कि कहीं मेरे ऊपर कूद गया तो मेरा तो कचूमर निकल जाएगा।
मेरे तो प्राण निकल जाएंगे इस पर हाथी दौड़ता हुआ आया।
हाथी के दौड़ने से दाएं बाएं लगे नारियल के पेड़ हिलने लगे और ऊपर से नारियल टूटकर दोनों पर गिरे।
हाथी कुछ समझा नहीं वहां से भाग गया।
खरगोश भी अपनी जान बचाकर वहां से भाग गया। खरगोश भागता हुआ सोच रहा था मित्र हाथी से अच्छा यह नारियल है। अभी मित्र मेरे ऊपर गिरता तो मेरा कचूमर निकल जाता।
नैतिक शिक्षा –
सच्चा मित्र सभी को बनाना चाहिए मगर ऐसा खेल नहीं खेलना चाहिए जिससे हानि हो।