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जादुई खिड़की की कहानी!!

एक शहर में रवि नाम का लड़का रहता था. उसकी उम्र आठ साल थी और वो तीसरी कक्षा में पढ़ता था. वह शांत स्वभाव का था और उसके अधिक दोस्त नहीं थे. एक बार उसकी तबियत ख़राब हो गई. डॉक्टर ने उसे दवाइयाँ दी और घर पर रहकर आराम करने की सलाह दी.

उसके माता-पिता ने स्कूल में उसकी छुट्टी का आवेदन डाल दिया और रवि घर पर रहने लगा. उसका ज्यादा समय बिस्तर पर ही बीतता था. माता-पिता उसका ख़याल तो रखते थे, पर अपने काम की वजह से हर वक़्त उसके साथ नहीं रह पाते थे.

रवि अकेला ही अपने कमरे में रहता था. धीरे-धीरे उसे अकेलापन और उदासी घेरने लगी. वह कभी कॉमिक्स पढ़ता, कभी टीवी देखता. लेकिन, फ़िर भी उसे ख़ुशी नहीं मिलती थी. उसे बाहर जाने की मनाही थी. इसलिए वह अपने कमरे की खिड़की से बाहर का नज़ारा देखा करता था.

एक दिन उसने देखा कि कोई अजीब सी चीज़ उसकी खिड़की के बाहर घूम रही है. ध्यान से देखने पर उसने पाया कि वो एक पेंगुइन है, जो बर्गर खाता हुआ वहाँ टहल रहा है. थोड़ी देर बाद पेंगुइन अंदर झांककर रवि से बोला, “हलो मेरे प्यारे दोस्त.”

रवि दौड़कर खिड़की के पास गया, तो उसे कोई पेंगुइन नहीं दिखा. वह वापस बिस्तर पर लौट आया. तभी उसे खिड़की पर एक मोटा बंदर नज़र आया, जो गुब्बारा फुला रहा था. वह फ़िर खिड़की के पास गया

रवि को लगने लगा कि ये सब जादू से हो रहा है. उसकी खिड़की जादुई है. उसने अपने माता-पिता को ये बात बताई, तो वे हँस दिए. उन्हें उसकी बात पर यकीन नहीं हुआ. लेकिन, रवि को अपनी खिड़की पर रोज़ तरह-तरह के कार्टून करैक्टर दिखाई देने लगे, जो अपनी हरक़तों से उसका मनोरंजन किया करते थे.

अपनी जादुई खिड़की के कारण रवि अब बहुत ख़ुश था. उसे अब अकेलापन महसूस नहीं होता था. उसे खिड़की पर कभी मस्त-मौला हाथी दिखाई पड़ता, तो कभी प्यारी बिल्ली रानी. दो लंबे दातों वाला चीकू ख़रगोश भी उसे उछल-उछल कर खूब हँसाता था.

हँसने और ख़ुश रहने के कारण रवि की सेहत में सुधार होने लगा. जल्दी ही वह पूरी तरह ठीक हो गया और उसने फ़िर से स्कूल जाना शुरू कर दिया. स्कूल में उसने ज्यादा दोस्त नहीं थे. वहाँ वह अकेला ही रहता था.

एक दिन सुशांत नाम का लड़का उसके पास आया और बोला, “रवि, मुझसे दोस्ती करोगे?”

रवि ने उससे दोस्ती कर ली. पूरे दिन वो उसके साथ ही बैठा. लंच टाइम में जब सुशांत ने टिफ़िन बॉक्स निकालने के लिए अपना बैग खोला, तो रवि को उसके बैग में कुछ रंग-बिरंगा सा दिखाई पड़ा. उसके जोर देकर सुशांत से पूछा कि ये सब रंग-बिरंगा सा क्या है? तो सुशांत से उसे बताया कि वही था, जो उसके घर पर इन कपड़ों को पहनकर कई कार्टून करैक्टर बनकर आता था और उसे हँसाता था.

रवि का भ्रम टूट गया कि उसकी खिड़की जादुई है. लेकिन सुशांत जैसा दोस्त पाकर वो बहुत ख़ुश हुआ. उसे एक सच्चा दोस्त मिल गया था. उसने उसे गले से लगा लिया और बोला, “दोस्त, मैं अकेला और उदास था, तब तुमने मेरे अकेलेपन और उदासी को दूर किया. तुमने मुझसे दोस्ती की. तुम बहुत अच्छे हो. अब मैं भी तुम्हारे जैसा बनने की कोशिश करूंगा और दूसरों का अकेलापन और उदासी दूर करूंगा.”

उसे दिन के बाद से उनकी दोस्ती और गहरी हो गई.

सीख (Moral of the story)

सच्चा दोस्त वो है, जो आपको भावनाओं को समझे. आपको अकेला महसूस न होने दे. आपकी ख़ुशी में ख़ुश हो और अपनी उदासी दूर करें.

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