सालों पहले दुमका नगर में जेक नाम का एक बुरा लड़का रहता था। वह एक तरह का शैतान था। एक दिन उसने एक ऐसा जादुई शीशा बनाया, जिसमें सारी अच्छी चीजें बहुत छोटी और सभी बुरी व गंदी चीजें दस गुना बड़ी दिखती थीं।
उसके इस जादुई शीशे में सुंदर शहर भी गंदे और डरावने दिखते थे। वहां के सुंदर लोग भी गंदे और डरावने लगते थे, क्योंकि उस आईने में उनकी छोटी-से-छोटी चोट भी बड़ी और खतरनाक दिखती थी। सभी खुद को इस तरह देखकर घबरा जाते थे। लोगों को घबराया हुआ देखकर उस शैतान लड़के को बहुत मजा आता था।
वह अपने शीशे के इस जादू से बहुत खुश होता था। उसने शहर में अपने जैसे ही बुरे लोगों का एक समुदाय बना लिया था। वह पूरी दुनिया के अच्छे लोगों को उस शीशे में कैद करके अपने समुदाय में शामिल करने की कोशिश कर रहा था। ऐसा सोचकर वह रोज नए-नए शहर जाता और अच्छे लोगों को शीशा दिखाकर उन्हें कैद करके अपने शहर पहुंचा देता था।
सभी जगहों पर जाकर उसने लोगों को शीशे में कैद कर लिया। अब ऐसा समय आ गया था कि कहीं भी कोई अच्छा इंसान ही नहीं बचा। सब उस शीशे में कैद हो चुके थे। अब उसके मन में हुआ कि क्यों न शीशे को स्वर्ग लोक ले जाकर परियों को कैद किया जाए। यह सोचते ही वह स्वर्ग लोक के लिए निकल गया।
इस शीशे की खास बात यह थी कि ऊंचाई में यह हाथों से तेजी से छूट जाता था। इस कारण उसे वह ज्यादा ऊपर नहीं ले जाते थे, लेकिन आज वो किसी तरह इसे ऊंचाई पर ले गया। जैसे ही शीशा थोड़ी ऊंचाई पर पहुंचा वो उसके हाथों से फिसलकर जमीन पर गिर गया और उसके लाखों टुकड़े हो गए।
ऐसा होने से उस शीशे का बुरा प्रभाव बहुत तेजी से फैलने लगा। उस कांच के कुछ टुकड़े धूल की तरह उड़ने लगे और दुनिया के हर कोने में पहुंच गए। जब वह शीशा धूल के साथ लोगों की आंखों में पहुंचा, तो उन्हें सब कुछ बुरा दिखने लगा।
इस कांच के टुकड़े कुछ लोगों के दिल में भी लग गए। यह जिनके भी दिल में लगा, उनके अंदर कोई अच्छी भावना ही नहीं बची। दुनिया में इस तरह से बुराई को बढ़ता देख, वह शैतान लड़का बहुत खुश होने लगा। इस तरह दुनिया के कोने-कोने में उस कांच के टुकड़े उड़ रहे थे। इस कहानी के अगले भाग में आप जानेंगे कि इसके आगे क्या हुआ।
कहानी से सीख:
बुराई बहुत तेजी से फैलती है, इसलिए इससे खुद को बचाकर रखना चाहिए।