एक बार एक राजा था। वह बहुत आलसी था। वह शायद ही अपने हाथ से कोई काम करता था। इसका नतीजा यह हुआ कि वह बीमार रहने लगा।
उसने राजवैद्य को बुलाया और कहा, “मुझे स्वस्थ रहने के लिए दवा दो। अगर तुमने मेरा इलाज नहीं किया, तो मैं तुम्हारी हत्या करवा दूंगा।” राजवैद्य यह बात जानता था कि राजा की बीमारी की वजह उसका आलस ही है।
अगले दिन, राजवैद्य ने राजा को बड़े-बड़े डम्बल देकर कहा, “महाराज! आप को इन जादुई गेंदों को हाथ में लेकर सुबह-शाम, दोनों समय आधे घंटे झुलाना है। और ऐसा तब तक करना है, जब तक आपकी बांहों को पसीना न आ जाए।
इस तरह आप स्वस्थ हो जाएंगे।” राजा ने ऐसा रोज़ किया। राजा को यह पता नहीं था कि यह एक व्यायाम है। कुछ सप्ताह के अंदर ही राजा ठीक हो गया।
अब राजा को काफी चुस्ती व फुर्ती महसूस हो रही थी। उसने राजवैद्य को धन्यवाद दिया और उनसे इलाज का रहस्य पूछा। राजवैद्य ने बड़ी बुद्धिमानी से उत्तर दिया, “महाराज! जब तक आप इन गेंदों को हिलाते रहेंगे, तब तक इस इलाज का जादू आपको ठीक रखेगा।
जिस दिन आपने ऐसा करना बंद कर दिया, उस दिन से आप फिर से बीमार हो जाएंगे।” राजवैद्य ने राजा को स्वस्थ रहना सिखा दिया था।
शिक्षा: स्वस्थ रहने के लिए आलस को छोड़ना ज़रूरी है।