एक बार एक जवान बेटा और एक बूढ़ा पिता एक बगीचे में टहलने के लिए गए। बूढ़े पिता ने बेटे से कहा कि अब वह थक चूका है और थोड़ी देर बैठना चाहता है, जिसके बाद पिता और बेटा पार्क के एक बेंच पर बैठ गए। तभी पिता की नजर सामने एक पेड़ पर गई। वहाँ उन्होंने देखा कि एक पक्षी पेड़ की टहनी पर बैठा है।
थोड़ी देर तक उस पक्षी को देखते रहने के बाद पिता ने अपने बेटे से पूछा, “बेटा वह क्या है?” बेटे ने पिता के प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा, “वह तोता है।” कुछ मिनटों बाद पिता ने अपने बेटे से फिरसे पूछा, “वह क्या है?” इसके बाद बेटे ने थोड़े ऊँचे स्वर से बोला, “मैं आपको पहले भी बता चूका हूँ कि यह तोता है।”
थोड़े देर बाद पिता ने एक बार फिर उसी प्रश्न को दोहराया और पेड़ के टहनी पर बैठे पक्षी को दिखाकर पूछा कि वह क्या है। अब बेटे को गुस्सा आ गया। वह चिल्लाते हुए अपने पिता से कहने लगा, “पापा क्या आपको कुछ भी समझ नहीं आ रहा या आपको कुछ सुनाई नहीं दे रहा? मैंने आपको कितनी बार बताया कि वह तोता है तोता फिर भी आप इतनी बार पूछे जा रहे हो। आखिर आपको यह जानकर करना क्या है?”
बेटे की बात सुन बूढ़े पिता ने बड़े ही नम्रतापूर्वक और धीमी आवाज में कहा, “बेटा मालूम है जब तुम करीब चार-पाँच साल के थे तो तुमने यह सवाल मुझसे पच्चीस बार पूछा था और यह सवाल पूछते वक्त तुम मुझे इतने प्यारे लग रहे थे कि मैं तुम्हारे हर सवाल पर तुम्हारे गाल पर एक किश देता और तुम्हे जवाब देते हुए कहता कि वह तोता है। लेकिन तुम तो केवल मेरे 3 बार पूछने पर ही गुस्सा हो गए।
दोस्तों यह तो सिर्फ एक कहानी है लेकिन वास्तव में कही लोग अपने माता-पिता की बूढ़े हो जाने पर उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते। उनकी छोटी-छोटी गलतियों पर उन्हें चिल्लाते हैं और गुस्सा होते हैं। इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जब भी हमारे माता-पिता हम पर निर्भर हो तब हमें उनके प्रति हमारी जिम्मेदारी अच्छे से निभानी। उन्हे हमेशा हमारी प्यार की आश होती हैं इसलिए उन्हें नाराज करने की बजाई उन्हें खुश खुश करनी चाहिए क्यूंकि माता-पिता की देखभाल ही हमारी असली जिम्मेदारी है और हमें हमारी जिंदगी से कभी नहीं भागना चाहिए।