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चार घड़े की कहानी !!

बहुत पुरानी बात है, किसी गांव में एक कुम्हार रहता था। वह बहुत अच्छे और सुंदर मिटटी के बर्तन बनता था। ठण्ड का मौसम था। एक बार, बर्तन बनाते समय उसने चार घड़े बनाये। वह घड़े बहुत बड़े और सुंदर थे। इतना बड़ा और सुंदर होने के बाद भी कुम्हार के सभी तरह के बर्तन बिक तो रहे थे लेकिन उन चार घड़ो का कोई खरीदार ही नहीं मिल रहा था।

इस बात को लेकर चारो घड़े बहुत दुखी रहते थे। काफी दिनों तक न बिकने की बजह से वह चारो खुद को बेकार और बिना किसी काम का समझने लगे थे। एक दिन चारो घड़े एकेले रह गए थे। अकेलेपन को मिटाने के लिए चारों घड़े आपस  बातचीत करने लगे। पहला घड़ा बोला, “मैं तो एक बहुत बड़ी और सुन्दर मूर्ति बनना चाहता था, ताकि किसी अमीर के घर की शोभा बढ़ाता। लोग मुझे देखते और मैं गर्भ महसूस करता। लेकिन देखो! मैं तो एक घड़ा ही बन कर रह गया जिसे आजकल कोई नहीं पूछता। “

तभी दूसरे घड़े ने अपनी परेशानी बतानी शुरू की। और बोलै, “किस्मत तो मेरी भी खराब है। मैं तो एक दिया बनना चाहता था, ताकि लोगो के घर में रोज जलता और चारों तरफ रोज रौशनी ही रौशनी बिखेरता। लेकिन देखो! क्या किस्मत  है मेरी, केबल एक घड़ा बनकर रह गया।तभी तीसरा घड़ा न रुक पाया और उसने भी अपनी परेशानी बतानी शुरू कर दी। वह बोला, “किस्मत तो मेरी भी ख़राब है। मुझे पैसो से बहुत प्यार है। इसी कारन मैं एक गुल्लक बनना चाहता था। अगर मैं गुल्लक होता तो लोग मुझे ख़ुशी से ले जाते। और मुझे हमेशा पैसो से भरा रखते। लेकिन मेरी किस्मत देखो, मैं केबल एक घड़ा बन कर रह गया।”अपनी अपनी बात कहने के बाद, तीनों घड़े उस चौथे घड़े की तरफ देखने लगे। चौथा घड़ा तीनों घड़े को देखकर मुस्कुरा रहा था। तीनों घड़े को चौथे घड़े का यह ब्यबहार अच्छा नहीं लगा और बोले, “क्या हुआ भाई! क्या आपको घड़ा बनने का कोई दुःख नहीं है। क्या आप खुश है जबकि तीन महीने हो गए है, आपको कोई खरीददार नहीं मिला है।”

इस बात पर चौथा घड़ा मुस्कुराया और फिर बोला, “आप तीनों क्या समझते हो, क्या मैं दुखी नहीं हूँ? मैं तो एक खिलौना बनना चाहता था, ताकि जब बच्चे मुझसे खेले तो बहुत खुश हो। और उनकी प्यारी से हंसी और ख़ुशी को देखकर मैं भी खुश होता। लेकिन कोई बात नहीं। हम एक उद्देश्य में असफल हो गए तो क्या, दुनिया में मौको की कोई कमी नहीं है। एक गया तो क्या हुआ, आगे और भी मौके मिलेंगे।”यह सुनकर तीनों घड़े के मन में भी ख़ुशी छा गई।बस एक महीना और बिता ही था तो गर्मी की मौसम की शुरुवात हो गई। अब लोगो को ठन्डे पानी की जरुरत महसूस होने लगी थी। लोगो ने घड़े खरीदना शुरू कर दी थी। चारों घड़े बड़े और सुन्दर तो थे ही। लोगो ने जैसे ही उन्हें देखा, दुरन्त ऊंचे दामों में उन्हें खरीद लिया। आज भी घड़े सैकड़ों लोगो की प्यास बुझाते है। और बदले में ख़ुशी और दुआएं पाते है।दोस्तों इस कहानी से हमें जीवन में आगे बढ़ने के लिए बहुत कुछ सिखने को मिलता है। दुनिया में बहुत से ऐसे लोग है जो वह नहीं पाते जो वह बनना चाहता है। ऐसा होने पर लोग खुद को असफल महसूस करते है। और हमेशा अपने आपको दोष देते रहते है। कुछ लोग एक उद्देश्य रखते है और उसे पाने के लिए बहुत मेहनत भी करते है। लेकिन जब असफलता हाथ लगती है तो अपनी किस्मत को कोशने लगते है। और दुसरो को दोष देते है। लेकिन दोस्तों क्या हुआ अगर हमने एक मौका गवा दिया तो? अगर ऐसा हो तो कभी भी खुदको असफल नहीं सोचना चाहिए। एक मौका चला गया तो क्या क्या हुआ, दूसरा मौका आपकी राह देख रहा है। अगर असफलता मिल ही रही है तो घबराइए मत, पर बिश्वास रखे, धैर्य रखे। धैर्य रखने वाले लोग एक न एक दिन जरूर सफल होते है।

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