एक गरीब लड़की थी। वह भीख माँगकर अपना गुजारा करती थी। एक दिन एक औरत ने उसे भीख के बदले फूलों के कुछ पौधे एवं बीज देते कहा’तुम इन पौधों और बीजों को घर के आंगन में बोना तो तुम्हें कभी भीख नहीं माँगनी पडेगी।”
निशा की समझ में कुछ नहीं आया लेकिन उसने औरत के कथनानुसार उन पौधों एवं बीजों को अपने घर के आंगन में बो दिया। साथ ही उसने उन पौधों की अच्छी तरह देखभाल शुरू कर दी। वह प्रतिदिन उन्हें पानी देती। कुछ हफ्ते बाद उसके घर के चारों ओर सुंदर-सुंदर फूल खिल गए ।
एक दिन एक महिला ने उन फूलों को देखा और वह उन्हें खरीदने के लिए दि निशा के पास आईनिशा ने कुछ फूल तोड़े और उस महिला को बेच दिए। अब निशा घर-घर जाकर भी फूल बेचने लगी। इस तरह उसका जीवन सुधरने लगा और उसने भीख माँगना छोड़ दिया। जल्दी ही कुछ लोग उसके नियमित ग्राहक बन गए
उसने कुछ पैसे बचाकर बाजार में फूलों की एक छोटी-सी दुकान खोली। वहाँ पर काफी सारे लोग फूल खरीदने के लिए आते थे। निशा अपनी तरक्की के लिए उस दयालु औरत का मन-ही-मन धन्यवाद कर रही थी जिसने उसे हरा सोना दिया था।