जर्मनी में हैमलिन नामक एक छोटा-सा शहर था। वहाँ बहुत सारे चूहे रहते थे। वहाँ के लोग चूहों से परेशान होकर मेयर के पास गए। मेयर को चूहों से बचने का कोई उपाय नहीं सूझ रहा था।
तभी बाँसुरी धरी एक व्यक्ति ने मेयर से कहा, “श्रीमान! मैं बाँसुरी बजाता हूँ। मुझे पता चला है कि चूहों ने आपके नाक में दम कर रखा है। मैं उन्हें यहाँ से ले जा सकता हूँ पर मुझे बदले में क्या मिलेगा?”
मेयर ने कहा, “मैं तुम्हें एक हजार सोने की अशर्पिफयाँ दूँगा । बाँसुरी वाला राजी हो गया। सड़क पर चलते-चलते उसने अपनी बाँसुरी की धुन छेड़ दी। हर दिशा से चूहे निकल-निकल कर उसके पीछे-पीछे चलने लगे।
बांसुरी वाला चलते-चलते उन्हें नदी के किनारे ले गया। सभी चूहे पानी में गिरकर डूब गए।
अब अपना पुरस्कार लेने के लिए बांसुरी वाला मेयर के पास गया। मेयर ने उसे एक हजार चाँदी के सिक्कों की थैली दी। क्रुद्ध बांसुरी वाला चुपचाप बाहर चला गया और दूसरी धुन अपनी बाँसुरी पर बजाने लगा।
इस बार चूहों की जगह शहर के सभी बच्चे सम्मोहित होकर उसके पीछे-पीछे चलने लगे। बांसुरी वाला उन्हें एक पहाड़ी पर ले गया और कभी दोबारा दिखाई नहीं दिया।
Moral of Story
शिक्षा : बुरे काम का बुरा नतीजा होता है।