एक बार, टीटू नाम का लड़का था। वह सारा दिन खेतों में अपनी फसल की देखभाल में लगा रहता था। उसके पास किसी से बात करने का भी समय नहीं था। वह बहुत अकेलापन महसूस करता था।
वह जब खेतों से लौटता तो अपनी बहन से कहता-“बहन, मेरा कोई दोस्त नहीं है। मैं सारा दिन मेहनत करता हूँ और किसी से भी बात नहीं करता।” उसकी बहन ने कहा-“मेरा भी कोई दोस्त नहीं है।”
“तुम्हारे पास है। तुम बकरियों की देखभाल करती हो। वे तुम्हारी दोस्त की तरह हैं। कम से कम तुम उनसे तो बात कर सकती हो।” -टीटू ने चिढ़कर कहा। “ओह! तुम ऐसा कैसे कह सकते हो?
बकरियों से बात कैसे की जा सकती है। बकरियाँ न ही हमारी भावना समझ सकती हैं और न ही हमार भाषा।” ऐसा कहकर वह रसोई में रोटियाँ बनाने चली गई और बहस खत्म हो गई।
टीटू को भी यह बात समझ में आ गई कि हम इन्सानों से ही बात कर सकते हैं, जानवरों से नहीं।