राम एक सदविचारों वाला युवा व्यक्ति हैं वह एक आकर्षक व्यक्तित्व का मालिक हैं | ईमानदारी, साहस, सादगी,स्पष्टवादिता उसके गुण हैं लेकिन इन सबके बीच वह कुछ हद तक स्वहितेषी एवम अहंकारी हैं |
राम को समुद्री जीवन से बहुत लगाव हैं इसलिए वह अपना करियर एक नाविक के रूप में चुनता हैं | कुशल नाविक होने के कारण जल्द ही उसका प्रमोशन होता हैं और वह व्यापारिक जहाज में अफसर के तौर पर नियुक्त किया जाता हैं |
एक बार राम एक जहाज का लीडर चुना जाता हैं जिसमे अन्य अफसरों के साथ 800 यात्री हैं | अचानक ही समुद्र में तूफान आता हैं सब इधर उधर भागने लगते हैं सबको अपनी जान की चिंता होने लगती हैं और सभी अफसर बिना यात्रियों की परवाह किये जहाज छोड़ कर भाग जाते हैं इनमे राम भी शामिल होता हैं वह एक लीडर होने के बावजूद इन विकट परिस्थितियों में अपने यात्रियों को मौत के मुँह में छोड़ कर भाग निकलता हैं |
राम और सभी अफसर बच कर निकल जाते हैं लेकिन अब राम को आत्म ग्लानि सताने लगती हैं उसे बार बार यात्रियों का ख्याल आता हैं अपनी खुदगर्जी पर गुस्सा आता हैं | पर कुछ देर बाद उसे पता चलता हैं कि एक अन्य जहाज के लीडर और उसकी टीम ने सभी यात्रियों को बचा लिया |
राम ने संकट के समय अपने कर्तव्य को त्याग दिया था उसे हर वक्त इस बात का अफ़सोस रहता, वो खुद को कोसता पूछता उसने यह काम कैसे कर दिया | उस वक्त स्वहित की कैसी पट्टी उसकी आँखों पर बंध गई और वह कर्तव्य विमुख हो गया और वह कठिन समय में सही निर्णय नहीं ले पाया | उसने जहाज के कप्तान होने का फर्ज नहीं निभाया | अब वह बहुत शर्मिंदा हैं |
राम पर मुकदमा चलाया गया | जज जानना चाहते थे कि उसने ऐसा क्यूँ किया क्यूँ अपने कर्तव्य का निर्वाह नहीं किया | कप्तान होकर क्यूँ यात्रियों को मरने छोड़ दिया |राम कुछ छिपाना नहीं चाहता था लेकिन अपनी सफाई देने में भी असमर्थ था| इस तरह वह मुकदमा हार जाता हैं और उसका लाइसेंस भी रद्द कर दिया जाता हैं |
इसी दौरान राम की मुलाकात विजय से होती हैं | विजय एक रिटायर्ड जहाज केप्टन हैं | विजय राम की बहुत मदद करता हैं क्यूंकि वह उसकी परिस्थिती एवम मनःस्थिती को अच्छी तरह समझता हैं |
राम की मानसिक स्थिती ठीक नहीं हैं वह अपने जिस जीवन से प्रेम करता था अब वह जीवन उसके पास नहीं था राम अपने ही सवालों में गुम होता जा रहा था विजय उसे इस स्थिती से बाहर निकालना चाहता था वह उसे मानसिक तनाव से बाहर निकालने की कोशिश करता रहता |
अचानक ही एक दिन राम को उसके बचपन का दोस्त आदर्श मिलता हैं विजय ने उसे राम के बारे में सब कुछ बताता हैं अब वे दोनों मिलकर राम की मदद करते हैं |आदर्श राम को उसके शहर ले जाने का कहता हैं जिस पर विजय भी अपनी हामी देता हैं |
आदर्श, राम को उसके शहर ले जाता हैं | उसे पुरानी बाते याद दिलाता हैं और उसे जीवन के प्रति अपनी उदासीनता को ख़त्म करने के लिए प्रेरित करता हैं | आदर्श उसी शहर में राम की नौकरी लगवाता हैं उस शहर के लोग बहुत भले और मिलनसार हैं | राम धीरे-धीरे अपने आपको को उस शहर के अनुरूप ढाल लेता हैं और वह उस शहर का दार्शनिक मार्गदर्शक बन जाता है |
राम के पड़ोस में एक मिस्टर जोसफ की फॅमिली रहती हैं उनकी एक बेटी हैं सविना जिससे राम को प्यार हो जाता हैं लेकिन मिस्टर जोसफ राम को पसंद नहीं करते और वे शादी के लिए राज़ी नहीं होते |मिस्टर जोसफ चाहते हैं कि राम को रास्ते से हटा दिया जायेऔर इसी कारण मिस्टर जोसफ जॉन के साथ मिलकर राम को मारने का षड्यंत्र रचते हैं और यह सब बाते सविना सुन लेती हैं और इसके बारे में राम को बताती हैं लेकिन राम इस सबको गंभीरता से नहीं लेता और कहता हैं कि कोई भी पिता अपनी बेटी के प्रेमी के साथ ऐसा व्यवहार नहीं कर सकता| किसी की जान लेना इतना आसान काम नहीं हैं | सविना उसे बहुत समझाती हैं पर वो एक नहीं सुनता | सविना बहुत बैचेन हो जाती हैं और यह सभी बाते राम के दोस्त आदर्श को बताती हैं |
आदर्श राम की जान बचाने के लिए जॉन को रोकने का प्रयास करता हैं | इस दौरान राम आदर्श और जॉन के बीच हाथापाई हो जाती हैं और इस हाथापाई में राम के हाथों आदर्श की हत्या हो जाती हैं और यह देख कर जॉन वहाँ से भाग जाता हैं | राम के हाथों बहुत बड़ा गुनाह हो जाता हैं वह पागलो जैसा हो जाता हैं और खुद को सम्भाल नहीं पता |तभी उसे उसकी प्रेमिका सविना समझाती हैं इस सबमे उसकी कोई गलती नहीं हैं यह सब अनजाने में हुआ पर वो एक नहीं सुनता | राम को जहाज वाली घटना याद आती हैं उस वक्त वह परिस्थती से भगा था और इस वक्त वो यह नहीं करना चाहता था |इसलिए राम अपनी गलती का प्रायश्चित करने आदर्श के घर जाता हैं वहाँ की स्थिती बहुत गंभीर हैं पालन पोषण करने वाला कोई नहीं हैं और उन्हें अब तक नहीं पता हैं कि उनका बेटा मर गया हैं | राम मेहनत करके परिवार का पालन पोषण करता हैं और आदर्श की बहनों की शादी करता हैं लेकिन उसके मन पर भार हैं और वह एक दिन आदर्श के पिता को सब कुछ सच बता देता हैं आदर्श के पिता गुस्से में आकार राम को मार देते हैं | राम पर सच कुबूल करना भारी पड़ जाता हैं और उस परिवार का एक मात्र सहारा भी छुट जाता हैं |
Moral
कभी-कभी परिस्थती वश हुई घटनाओ में खुद को भागी ना समझे| हर परिस्थिती समान नहीं होती |अगर राम सच न बताता तो खुद भी जिंदा रहता हैं और आदर्श के परिवार का सहारा बनता |और शायद यही उसके जीवन का सबसे बड़ा प्रायश्चित होता |