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कैसे किया माता-पिता ने अपने पुत्रो का मार्गदर्शन !!

एक राजा  और रानी  थे, जिनकी प्रजा बहुत खुश थी, राजा-रानी ने सदैव प्रजा के हीत में कार्य किये | उनके दो पुत्र थे लव एवम कुश | दोनों के विचारों में बहुत मतभेद था जिस कारण वे दोनों सदा ही लड़ते रहते थे, दोनों बहुत बलवान एवम गुणी थे, लेकिन उनकी आपसी लड़ाई, राजा रानी के लिए चिंता  का विषय था | दोनों पुत्रो को राज काज सम्भालना था ऐसे में उनके बीच मतभेद उनका ही शत्रु था |

एक दिन, राजा-रानी ने दोनों को एक दुसरे के दृष्टिकोण  को समझाने की योजना बनाई| लव और कुश को एक बाग़  में बुलवाया गया और उनकी आँख में पट्टी बाँधकर उन्हें बाग़ में बनी एक दीवार के पास ले जाया गया | उस दीवार की एक तरफ सूर्य की किरणे पढ़ने से वह गरम थी और दूसरी तरफ छाया  होने से उस ओर ठंडक थी | लव और कुश को दीवार के विपरीत और खड़ा किया गया और पूछा गया कि उन्हें क्या अहसास हैं ठंडक या गरम | दोनों ने विपरीत जवाब दिए| अब उनकी जगह बदल कर उनसे वही सवाल किया गया फिर दोनों ने एक दुसरे के पूर्व दिए जवाब को दौहराया |

अब उनकी पट्टी खोल कर उन्हें राजा ने समझाया हर परिस्थिती में हमारी व्यक्तिगत सोच भिन्न होती हैं पर एक दुसरे की स्थति को समझकर और अपने आप को उनकी जगह पर रख कर सोचे तब पता चलता हैं कि सामने वाले का कथन भी अनुचित नहीं था | उस दिन से लव और कुश ने एक दुसरे कि सोच को सम्मान दिया और राज्य के उत्तरदायित्व का सहकुशल वहन किया |

Moral Of The Story

दृष्टिकोण भिन्न होना, शत्रुता का कारण नहीं |

कभी-कभी जीवन में सही निर्णय लेने के लिए अपने आपको को दुसरे कि जगह पर रखकर सोचना चाहिये  | हमेशा खुद को सच मानना गलत हैं |जीवन एक दृष्टिकोण पर नहीं चलता भिन्न भिन्न परिवेश में भिन्न भिन्न लोगो का समावेश हैं अत: सबके विचारों का सम्मान करना ही सही जीवन हैं | विचार भिन्न होने के कारण शत्रुता बढ़ाना गलत हैं |

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