यह कहानी एक खूबसूरत औरत की हैं जिनका नाम प्रभा देवी था | वह एक प्राइमरी स्कूल टीचर थी यह बात 1960 के वक्त की हैं जब देश में छुआछूत बुरी तरह छाया हुआ था |प्रभा देवी स्कूल पढ़ाने जाती थी लेकिन उस स्कूल में आये बच्चों को हाथ नहीं लगाती थी| यहाँ तक की बच्चो को सख्त हिदायत थी कि वह मैडम से 1 फीट की दूरी से बात करे | उनकी किताबे तक को वह हाथ नहीं लगाती थी |
स्कूल के आलावा उनके घर में भी कुछ इस ही तरह के नियम थे | साथ ही वह बहुत सुंदर थी और उन्हें सुन्दर दिखने वाली महिलाओ से दोस्ती करना पसंद था |साफ़ सफाई से रहना प्रभा देवी को बहुत पसंद था वो बिस्तर पर एक सल भी देखना पसंद नहीं करती थी | यहाँ तक की छोटे छोटे बच्चो को भी वो प्यार तो बहुत करती |उन्हें तोहफे देती, खाने की अच्छी अच्छी चीजे देती | दिल से दुआ भी देती |पर उन्हें कभी अपनी गोद में नहीं बैठाती और ना ही अपने bed पर, क्यूंकि उन्हें हमेशा बच्चे के गंदे कर देने का डर होता था|
वक्त बीत गया जब प्रभा देवी की उम्र 70 वर्ष हुई उनके पास उनकी एक बेटी रहती थी अब प्रभा देवी को एक बहुत बुरी बीमारी हो गई थी ना वो चल सकती थी ना किसी के सहारे के बिना एक करवट बदल सकती थी | और उनका शरीर दुर्बल हो गया था जिसे देख कोई भी डर जाए |उनकी बेटी उनकी पूरी सेवा करती पर फिर भी कई बार प्रभा देवी जी कई घंटो गंदगी में पड़ी रहती | जिन नौकरों से प्रभा देवी अपने आपको दूर रखती थी आज वो उनके सहारे के बिना एक पल नहीं रह सकती थी | प्रभा देवी दिल की बुरी नहीं थी पर जीवन में जिन बातों को लेकर वह सबसे ज्यादा चिड़ती और अनजाने में ही सही पर दूसरों का दिल दुखाती थी बुढ़ापे में उन्हें इन बातो को जीना पड़ा |
Moral Of The Story:
वक्त कभी समान नहीं रहता वक्त के साथ सब कुछ बदल जाता हैं लेकिन अपने व्यवहार को इस तरह रखे कि कभी भी वक्त के आगे आपको झुकना ना पड़े | कहते है इंसान जिस चीज से भागता है उसे उसका सामना करना पड़ता है इसलिए कभी किसी चीज़ से घृणा ना पाले | और शारीरिक सुन्दरता कभी नहीं टिकती ना उस पर अभिमान करना चाहिए और ना ही किसी को उसके रूप के लिए कोसना चाहिए |