एक बार एक आदमी किसी गाँव के पास से गुजर रहा था । उस रास्ते में श्मशान भूमि थी, उसने श्मशान भूमि में पत्थरों के ऊपर मरने वाले की उम्र लिखी हुई देखी 5 वर्ष, 8 वर्ष, 10 वर्ष और 20 वर्ष ।
उस आदमी ने सोचा कि इस गांव में सभी की मृत्यु अल्प आयु में ही हो जाती है । वह आदमी गांव में गया तो गांव वालों ने उस आदमी की बहुत सेवा सत्कार किया । वह आदमी कुछ दिन उस गांव में ठहरने के बाद वहां से जाने के लिए तैयार हुआ और गांव वालों को बताया कि मैं कल जा रहा हूँ ।
उसकी बात सुनकर गांव वाले बहुत दुखी हुए और कहने लगे हमारे से कोई गलती हुई है तो बताओ लेकिन आप यहाँ से न जाओ, आप इसी गाँव में रुक जाओ । वह आदमी कहने लगा कि इस गांव में, मैं और अधिक नहीं रह सकता, क्योंकि इस गांव में इंसान की अल्प आयु में ही मृत्यु हो जाती है ।
उसकी बात सुनकर गांव वाले हँसने लगे, और बोले देखो – हमारे बीच में भी कोई 60 वर्ष, 70 वर्ष औऱ 85 वर्ष का भी है । तो उस आदमी ने पूछा कि श्मशान भूमि के पत्थरों पर लिखी मृतक की आयु का क्या कारण है ?
गांव वाले कहने लगे कि हमारे गांव में रिवाज़ है कि आदमी सारा दिन काम काज करके, फिर भगवान का भजन कीर्तन, जीव की सेवा करके, रात को भोजन करने के बाद, जब वह सोने जाता है, तब वो अपनी डायरी के अंदर यह बात लिखता है कि आज कितना समय भगवान का सत्संग, भजन – सुमिरन किया ।
जब उस आदमी की मृत्यु होती है, तब उसकी लिखी हुई डायरी लेकर उसके किये हुए भजन सिमरन के समय को जोड़ कर हम उसे महीने और साल बनाकर उसे पत्थरों पर लिख देते हैं । क्योंकि इंसान की असली आयु तो वही है जो उसने भगवान के भजन – सुमिरन में बिताई है ।
इंसान का बाकी जीवन तो दुनियाँ मे ही व्यर्थ चला गया।
🙏जय श्री कृष्णा🙏
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रामशरण ने कहा-" सर! जब मैं गांव से यहां नौकरी करने शहर आया तो पिताजी ने कहा कि बेटा भगवान जिस हाल में रखे उसमें खुश रहना। तुम्हें तुम्हारे कर्म अनुरूप ही मिलता रहेगा। उस पर भरोसा रखना। इसलिए सर जो मिलता है मैं उसी में खुश रहता हूं