दातादीन अपने लड़के गोपाल को नित्य शाम को सोने से पहले कहानियां सुनाया करता था | एक दिन उसने गोपाल से कहा -” बेटा ! एक बात कभी मत भूलना कि भगवान सब कहीं है |”
गोपाल ने इधर-उधर देखा पूछा- ” पिताजी ! भगवान सब कहीं हैं, वह मुझे तो कहीं दिखते नहीं |”
दातादीन ने कहा – ” हम भगवान को देख नहीं सकते किंतु | वह सब कहीं हैं | और हमारे सब कामों को देखते रहते हैं |
गोपाल ने पिता की बात याद कर ली | कुछ दिन बाद अकाल पड़ा | दातादीन के खेतों में कुछ हुआ नहीं | एक दिन गोपाल को लेकर रात के अंधेरे में वह गांव से बाहर गया | वह दूसरे किसान के खेत में से चोरी से एक गठा अन्न काटकर घर लाना चाहता था | गोपाल को मेड पर खड़ा करके उसने कहा -” तुम चारों और देखते रहो ! कोई इधरआवे या देखे तो मुझे बता देना |
जैसे ही दातादीन खेत में अन्न काटने बैठा गोपाल ने कहा -” पिताजी ! रुकिए |”
दातादीन ने पूछा – ” क्यों कोई देखता है ! क्या |”
गोपाल ने कहा – “हां ! देखता है |”
दातादीन खेत से निकलकर मेड पर आया | उसने चारों ओर देखा जब कोई कहीं न दिखा तो उसने पुत्र से पूछा – ” कहां ! कौन देखता है |”
गोपाल -” आपने ही तो कहा था कि ईश्वर सब कहीं है और सबके काम देखता है | तब वह आप को खेत काटते क्या नहीं देखेगा | दातादीन पुत्र की बात सुनकर लज्जित हो गया |
चोरी का विचार छोड़कर वह घर लौट आया |
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